कांग्रेस किसानों के साथ लाने में रही नाकाम
आंदोलन में शामिल किसान बोले अन्नदाता की नब्ज पकड़ लेती तो सत्ता में होती कांग्रेस
चुनाव आयोग ने दी कमलनाथ को चेतावनी।
भोपाल : दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन ने नए सिरे से किसानों के मुद्दों पर बहस छेड़ दी है। विपक्ष में आने के बाद किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस आंदोलन की रुपरेखा तैयार कर रही है। लेकिन सवाल ये खड़ा हो रहा है कि क्या कांग्रेस वाकई में किसानों को अपने पास लाने में कामयाब हुई है। कर्ज माफी जैसे वादे के बाद भी कांग्रेस प्रदेश में बड़ा किसान आंदोलन खड़ा नहीं कर पाई। कांग्रेस लाखों किसानों के कर्ज माफी का दम भरती है लेकिन वो दावे के साथ ये नहीं कह पा रही कि उतने किसानों ने भी उपचुनावों में कांग्रेस को वोट दिया है। यदि उपचुनावों के पहले कांग्रेस प्रदेश में बड़ा किसान आंदोलन खड़ा कर देती तो सियासत की तस्वीर कुछ और भी हो सकती थी। यहां तक कि दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में भी कांग्रेस उनके समर्थन में खड़ी नजर नहीं आ रही।
नब्ज नहीं पहचान पाई कांग्रेस :
दिल्ली में किसानों के जमावड़े ने केंद्र सरकार को हलाकान कर दिया है। इस आंदोलन में प्रदेश से भी सैकड़ों किसान शामिल हुए हैं। प्रदेश जो संगठन गए हैं उनमें आम किसान यूनियन, किसान मजदूर संघ, राष्ट्रीय किसान महासंघ और नर्मदा बचाओ आंदोलन शामिल हैं। आंदोलन में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर अपने ट्रेक्टर के साथ डटे किसान केदार सिरोही कहते हैं कि कांग्रेस कभी किसानों की नब्ज ही नहीं पहचान पाई। यदि कांग्रेस ने किसानों को साथ लेकर प्रदेश में आंदोलन किया होता तो सत्ता पर वही नजर आती। न किसानों के साथ कांग्रेस खड़ी नजर आई और न ही किसानों ने कांग्रेस का साथ दिया। कांग्रेस को किसान लीडरशिप तैयार करने की जरुरत है। इस आंदोलन में भी सिर्फ किसान हैं और कोई राजनीतिक दल नहीं।
हम हमेशा किसानों के साथ :
किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुर्जर कहते हैं कि हमने भी किसान बिल का विरोध किया था और सीएम हाउस घेराव में कई किसानों पर मामले दर्ज हुए। कांग्रेस में हमेशा किसानों का साथ दिया है। दिनेश गुर्जर कहते हैं कि वे यह नहीं कह सकते कि कर्ज माफी वाले कितने किसानों ने उनको वोट दिया है। लेकिन ग्वालियर-चंबल में मिली सीटें बताती हैं कि किसान उनके साथ रहा है।
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