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आदेश: जल्द होगी पुजारियों की भर्ती: किसी भी जाति-धर्म के लोग बन सकते हैं पुजारी

आदेश: जल्द होगी पुजारियों की भर्ती: किसी भी जाति-धर्म के लोग बन सकते हैं पुजारी

भोपालFeb 06, 2019 / 11:17 am

Manish Gite

bhopal

आदेश: जल्द होगी पुजारियों की भर्ती: किसी भी जाति-धर्म के लोग बन सकते हैं पुजारी

 

भोपाल। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अब पुजारियों की नियुक्ति करने जा रही है। इसमें किसी भी जाति-धर्म की बाध्यता नहीं रखी गई है। नियुक्ति के बाद पुजारी को मानदेय भी मिलेगा। राज्य सरकार के अध्यात्म मंत्रालय ने मंगलवार को इसके आदेश जारी कर दिए हैं।

राज्य सरकार के अध्यात्म विभाग ने अपने आदेश में पुजारियों की नियुक्ति के नियम, योग्यता और नियुक्ति प्रक्रिया भी बताई है। इस आदेश में किसी भी धर्म या जाति, या महिला-पुरुषों की नियुक्तियों पर कोई बाध्यता नहीं रखी गई है।

 

पुजारी बनने के लिए योग्यता
-अध्यात्म विभाग के आदेश के मुताबिक 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवा होना चाहिए।
-न्यूनतम आठवी तक शिक्षित होना अनिवार्य है।
-शुद्ध शाकाहारी हो और मद्यपान न करता हो।
-आपराधिक चरित्र का न हो।
-किसी भी देवस्थान की भूमि पर अतिक्रमण या संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने का दोषी न हो।
-पिता के पुजारी होने की दशा में पुत्र तथा उसी वंश के आवेदक को अन्य सभी अर्हतापूर्ण करने पर वरीयता दी जाएगी।
-यदि कोई मंदिर मठ की श्रेणी में आता है और उस मंदिर पर किसी सम्प्रदाय विशेष अथवा अखाड़ा विशेष के पुजारी होने की पंरपरा है तो उसस स्थिति में सम्प्रदाय- अखाड़े की गुरु शिष्य परंपरा के आधार पर पुजारी की नियुक्ति की जावेगी या प्राथमिकता ती जाएगी।
-यदि किसी दरगाह,खानकाह या तकिया पर सज्जादानशीन-मुजाविर आदि की नियुक्ति के लिए वंश परंपरा की प्रथा हो तो नियुक्ति के समय उससका ध्यान रखा जाएगा।

 

ऐसे होगी नियुक्ति की प्रक्रिया
-किसी देवस्थान पर पुजारी का पद रिक्त होने की दशा में आवेदन निर्धारित प्रारूप पर ऐसे अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को प्रस्तुत किया जाएगा, जिसकी स्थानीय आधिकारिता में देवस्थान स्थित हो।
-आवेदन पत्र के साथ शपथ-पत्र पर अंडरटेकिंग भी प्रस्तुत करनी पड़ेगी।
-आवेदन प्राप्त होने पर अनुविभागीय अधिकारी 15 दिनों की उद्घोषणा जारी कर आपत्ति आमंत्रित करेगा। इसी अवधि में यदि अपेक्षित हो तो पटवारी-तहसीलदार आदि का प्रतिवेदन बुला सकेगा।
-उद्घोषणा अवधि पूर्ण होने पर कोई आपत्ति प्राप्त न होने पर आगामी कार्यवाही के लिए अग्रसर होगा।
-जांच पूरी होने पर आदेश पारित होगा, जिसकी एक-एक कॉपी तहसीलदार, कलेक्टर, औकाफ बोर्ड और संचालक धर्मस्व को भेजी जाएगी।
-नियुक्ति आदेश पारित होने के बाद अनुविभागीय अधिकारी तहसीलदार के माध्यम से संबंधित देवस्थान का आधिपत्य पुजारी को दे देगा।
-देवस्थान अपूज्य नहीं रहना चाहिए। यदि पुजारी की नियुक्ति में समय लग रहा है तो अस्थाई पुजारी को रखा जाएगा। उसे भी मानदेय प्राप्त होगा।


यह होंगे पुजारी के कर्तव्य
-पुजारी विधि-विधान से देवस्थान की सेवा-पूजा करेगा।
-देवस्थान को सस्वच्छ रखेगा। मंदिर में फ्रेंडली वातावरण बनाए रखेगा।
-मंदिर की चल-अचल संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी होगी।
-देवस्थल की संपत्तियों में अपने किसी हित को सृजित नहीं करेगा।
-शासन की योजना में उत्प्रेरक का कार्य भी करेगा।

तो टर्मिनेट कर दिए जाएंगे
यदि पुजारी शासन के किसी आदेश की अवहेलना करता है। चरित्र का दोषी पाया जाता है या देवस्थल पर कोई हित का दावा करने लगे, सुरक्षा में लापरवाही करे तो उसे बर्खास्त किया जा सकता है।

 

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