आंतरिक रिपोर्ट ठीक नहीं
पार्टी की आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक इसी वर्ष मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़, राजस्थान व मिजोरम में होने वाले चुनाव के लिए पार्टी को 1000 करोड़ की जरूरत है। चंदा जुटाने राज्यों को टारगेट दिए गए हैं। रिपोर्ट में कहा है कि गुजरात व हिमाचल प्रदेश के चुनावों में कांग्रेस, भाजपा के चुनाव अभियान व धनबल का मुकाबला नहीं कर पाई। रिपोर्ट में सुझाव दिए हैं कि पदाधिकारी हवाई यात्रा की जगह टे्रन से यात्रा, चाय-नाश्ते का खर्च भी कम करें। बड़े औद्योगिक घरानों से चर्चा कर फंड जुटाएं।
200 से 1000 रुपए का चंदा
एआईसीसी ने आमजन से चंदा मांगा है। इसके लिए पार्टी ने अपनी अधिकृत बेवासाइट और ट्वीटर एकाउंट में आमजन से सहयोग राशि मांगी है। ट्वीटर अकाउंट में दिए गए लिंक को क्लिक करने पर एक प्रोफार्मा खुलता है। बेवसाइट पर भी कंट्रीब्यूट ऑफ्शन पर क्लिक करने पर यही प्रोफार्मा नजर आता है। इसमें ऑनलाइन चंदे का उल्लेख है। इसके माध्यम से कम से कम 200 और अधिकतम 1000 रुपए का चंदा ऑनलाइन दिया जा सकता है।
कांग्रेस अब सहयोग नहीं मिलता
वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पहले चंदे के रूप में 50 लाख व एक करोड़ असानी से मिल जाते थे, अब ऐसा नहीं होता। लाख-दो लाख रुपए देने में भी लोग कतराते हैं। वर्ष 2013 तक जब केन्द्र में यूपीए सरकार थी, तब कांग्रेस की आर्थिक स्थिति ठीक थी। सत्ता जाते ही चंदा देने वालों की संख्या भी घट गई। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा की आय पिछले वर्ष के मुकाबले 81 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है, वहीं, कांग्रेस में 14 फीसदी कमी आई है।
भाजपा सफल रहा था प्रयोग
भाजपा ने वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में लोगों से दान के साथ वोट की अपील की थी। इसके तहत आमजन से आग्रह किया था कि वे पार्टी को आर्थिक सहयोग (दान) के साथ वोट भी दें, जिससे उनकी हिस्सेदारी रहे। यह दान कम से कम एक रुपया और अधिकतम उनकी हैसियत के अनुसार था। इसके पीछे मंशा थी कि लोग सहयोग राशि देंगे तो पार्टी से उनका जुड़ाव होगा। भाजपा को इसका लाभ भी हुआ।
कमलनाथ से उम्मीद
मध्य प्रदेश कांग्रेस की कमान पूर्व केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ को मिलने से अब पार्टी को भी यहां का आर्थिक संकट दूर होने की उम्मीद बंधी है। इसका कारण यह भी है कि कमलनाथ के औद्योगिक घरानों से बेहतर संबंध हैं, वे मैनेजमेंट के मास्टर भी माने जाते हैं। पार्टी को उनके संबंधों का लाभ मिलेगा।
यह हैं हालात
सत्ता से बाहर रही प्रदेश कांग्रेस का रिजर्व फंड लगभग सूख गया है। पार्टी ने खर्चे में कटौती के साथ ही अमले में भी कमी की है। पार्टी का जवाहर भवन किराए पर चल रहा है। मौजूदा विधायकों से एक माह का वेतन पार्टी खर्च के लिए मांगा गया, लेकिन ज्यादातर विधायकों ने राशि नहीं दी।
एआईसीसी का निर्णय है, हम सभी को मान्य है। हम लोगों से आग्रह करेंगे कि वे पार्टी को अधिक से अधिक सहयोग करें।
-चंद्रप्रभाष शेखर, संगठन प्रभारी एवं उपाध्यक्ष मध्यप्रदेश कांग्रेस