कमलनाथ को सोमवार को मुरैना में थे, जहां सवर्ण आंदोलनकारियों ने उन्हें काले झंडे दिखाए। उनके बयान को इससे जोड़कर भी देखा जा रहा है। सवर्णों को लेकर पार्टियां हैं परेशान!…
जानकारों के अनुसार एससीएसटी एक्ट के चलते पिछले दिनों हुए सवर्णों के आंदोलन ने दोनों ही पार्टियों को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है। वहीं इस मामले में कुछ पार्टियों के नेता तक अपना इस्तीफा दे चुके हैं।
वहीं कई नेता अपनी जीत को लेकर इस समय असमंजस्य की स्थिति में बने हुए हैं। ऐसे में वे भी लगातार पार्टी पर सवर्णों का साथ देने के लिए दबाव बना रहे हैं। ऐसे में देर सवेर पार्टियों को सवर्णों की ओर आना ही होगा।
सवर्णों के आंदोलन के बाद शुरू हुई राजनीति के संबंध में राजनीति के जानकार डीके शर्मा कहते हैं। कि दोनों पार्टियों में इस समय बराबर की आग लगी हुई है। लेकिन अब तक वे इस बात को लेकर परेशान हैं कि उन्हें किस ओर जाने में ज्यादा फायदा है।
वहीं शर्मा के अनुसार भाजपा द्वारा केंद्र में उठाए गए इस कदम के बाद कांग्रेस को काफी हद तक दलित वोट बैंक हाथ से निकलने का आभास है, ऐसे में वे सवर्णों के सहयोग से ही भाजपा को टक्कर देने की कोशिश में हैं।
लेकिन इसके लिए वे भी जानते हैं कि सवर्णोें को साथ लेना होगा। ऐसे में कमलनाथ का यह बयान साफ इशारा करता है कि कांग्रेस भाजपा के विरुद्ध जोरदार मुकाबला करने के लिए सवर्णों की ओर आना शुरू हो गई है।
वहीं शर्मा का यह भी कहना है कि पार्टियां अंत में किसका समर्थन करेंगी कहा नहीं जा सकता, लेकिन फिलहाल सवर्ण समाज के समर्थन में आना हर पार्टी के लिए जरूरी होता दिख रहा है।