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भोपाल

भाजपा के गढ़ में बढ़े कांग्रेस के विधायक, लोकसभा में खड़ी बड़ी चुनौती

देवास: विधानसभा चुनाव जीते, लेकिन संसदीय सीट को नुकसान से नहीं बचा पाए ऊंटवाल
 

भोपालJan 10, 2019 / 07:04 pm

anil chaudhary

Lok sabha chunav 2019

Lok sabha chunav 2019

देवास. देवास-शाजापुर संसदीय सीट पर विधानसभा चुनाव 2018 के परिणाम का साया साफ दिख रहा है। इस सीट पर 2014 के चुनाव में मोदी लहर पर सवार होकर मनोहर ऊंटवाल ने करीब 2.5 लाख मतों से सज्जन सिंह वर्मा को हराया था। अब भाजपा इस सीट पर 40 हजार वोटों से पिछड़ गई है। ऊंटवाल खुद विधानसभा चुनाव में उतरे और आगर सीट से जीत भी गए, लेकिन अपनी संसदीय सीट पर भाजपा को नुकसान से नहीं बचा सके।
विधानसभा चुनाव के बाद इस क्षेत्र के समीकरण बदले-बदले दिख रहे हैं। साढ़े चार साल तक क्षेत्र की आवाज नहीं उठा सके सांसद ऊंटवाल जब विधायक बन गए, तब जाकर सदन में अपनी बात रखी। उन्होंने देवास के नोट प्रेस का विस्तार करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि दूसरी यूनिट खोलने से लोगों को रोजगार मिलेगा और सरकार की करंसी छापने में सहूलियत होगी। इससे पहले ऊंटवाल सदन में क्षेत्र की आवाज नहीं बन सके। यही वजह है कि उनके खाते में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं आई। सांसद निधि से टैंकर, सामुदायिक भवन व सांस्कृतिक मंच मुक्ति धाम के लिए ही राशि जारी की।
– बदले नजर आएंगे चेहरे
देवास-शाजापुर लोकसभा के समीकरण के साथ इस बार नजारा भी बदला हुआ दिखेगा। सांसद मनोहर ऊंटवाल खुद विधानसभा पहुंच चुके हैं और उनके प्रतिद्वंद्वी रहे सज्जन सिंह वर्मा भी सोनकच्छ सीट जीतकर मंत्री बन गए हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों के चेहरे लोकसभा चुनाव में बदले हुए होंगे। यह सीट अप्रत्याशित फैसलों के लिए जानी जाती है। वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा के चार बार के सांसद और कदï्दावर नेता थावरचंद गेहलोत को कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने करीब 11 हजार वोटों से शिकस्त देकर यह सीट भाजपा से छीन ली थी। मोदी लहर वाले वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में भाजपा से मनोहर ऊंटवाल चुनाव लड़े और उन्होंने 665646 मत प्राप्त किए। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी सज्जन 45333 वोट हासिल कर सके थे।

– सीटें बराबर पर वोटों में कांग्रेस को बढ़त
देवास-शाजापुर संसदीय सीट में आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें देवास से भाजपा की गायत्री पवार, सोनकच्छ से कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा, हाटपिपल्या से कांग्रेस के मनोज चौधरी, शाजापुर से कांग्रेस के हुकम सिंह कराड़ा, शुजालपुर से भाजपा के इंदरसिंह परमार, आगर से भाजपा के मनोहर ऊंटवाल, कालापीपल से कांग्रेस के कुणाल चौधरी ने जीत हासिल की है। विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखा जाए तो कांग्रेस का पलड़ा लोकसभा चुनाव में भाजपा के मुकाबले भारी दिख रहा है। वहीं, आष्टा में भाजपा के रंजीतसिंह है।
– लोकसभा में नाराजगी पड़ सकती भारी
भाजपा को विधानसभा चुनाव में किसान, व्यापारी, युवाओं के साथ सवर्णों की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ा था। अब लोकसभा चुनाव के चंद महीने शेष हैं और ऐसे में यदि इन सभी वर्गों की नाराजगी सरकार से दूर नहीं हुई, तो भाजपा को लोकसभा चुनाव में इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। सांसद मनोहर ऊंटवाल ने भी कार्यकाल पूरा होने के पूर्व ही लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। वहीं, पूरे क्षेत्र में केंद्र सरकार की ओर से कोई बड़ा उल्लेखनीय कार्य देखने में नहीं आया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि भाजपा का नया प्रत्याशी क्षेत्र की जनता से वोट मांगने के दौरान क्या दावे और वादे करेगा। कांग्रेस ने इस सीट से दो मंत्री बनाकर घेरने की भी तैयारी कर दी है।

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