उन्होंने कहा है कि सदन की बैठकों की संख्या लगातार कम होना चिंतनीय है। हाल ही में राज्य विधान मण्डलों के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में भी यह प्रस्ताव पारित किया गया कि एक वर्ष में कम से कम सदन की 75 बैठकें हों, लेकिन इसका पालन नहीं हो पा रहा है। सत्र की बैठकें होंगी तो विधायक क्षेत्र के मुद्दे उठाएंगे, आमजन की बात होगी। सदन की बैठकें कम होने से महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा भी नहीं हो पाती। राज्य सरकार की मानसिकता सरकारी काम-काज निपटाने तक सीमित हो गई है। उन्होंने राज्यपाल से आग्रह किया है कि शीतकालीन सत्र की अवधि 5 दिन से बढ़ाकर 10 दिन की जाए।
वहीं पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा सरकार कभी कोरोना का तो कभी कोई अन्य बहाना बनाकर विधानसभा सत्र की अवधि कम करती जा रही है। यह विधायकों के विशेषाधिकार का हनन है। पटवारी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिखा है।