वहीं, मध्य से विधायक आरिफ मसूद ने प्रज्ञा और भाजपा के अनिल सोमित्र के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की मांग की। मसूद ने गोडसे को देशभक्त बताने वाले बयान पर बड़ी आपत्ति लेते हुए लिली टॉकिज चौराहा पर अंबेडकर की प्रतिमा के सामने सांकेतिक धरना दिया।
गोयल ने किए भजन-कीर्तन: प्रज्ञा के बयान के बाद उपजे आक्रोश के बीच कांग्रेस कोषाध्यक्ष गोविंद गोयल व अन्य कार्यकर्ताओं ने पीसीसी के सामने धरना देकर भजन-कीर्तन किया।
इस दौरान कांग्रेसियों ने प्रार्थना की है कि गोडसे को देशभक्त मानने वाले भाजपाईयों को ईश्वर सन्मति दे और सदबुद्धी प्रदान करे। गोयल ने कहा कि हम गांधीवादी हैं, लेकिन बयान देने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
प्रज्ञा की उम्मीदवारी समाप्त करने चुनाव आयोग से की शिकायत
भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के गोडसे संबंधी बयान पर शनिवार को गांधीवादी व एकता परिषद के संस्थापक पीवी राजगोपाल ने चुनाव आयोग को शिकायत की है कि प्रज्ञा की उम्मीदवारी शून्य की जाए।
शिकायत में गांधी विचारकों ने कहा कि जिस तरह बाला साहेब ठाकरे पर चुनाव आयोग ने सख्ती कर चुनाव लडऩे पर पाबंदी लगाई थी, उसी तरह प्रज्ञा पर भी पाबंदी लगाई जाए। गांधी भवन न्यास के सचिव दयाराम नामदेव, रन सिंह परमार, सचिव, महात्मा गांधी सेवा आश्रम जौरा, अनीष कुमार उपाध्यक्ष, सर्वोदय मंडल, सहित गांधीवादी विचारकों के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव से शिकायत की।
शिकायत में कहा गया है कि यह संयोग नहीं माना जा सकता कि एक तरफ भोपाल से, भाजपा की आतंकी षडयंत्र की आरोपी, लोकसभा की प्रत्याशी प्रज्ञा अपने उदगार प्रकट कर रही थी कि महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंग, तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाषण दे रहे थे कि हमें चक्र सुदर्शनधारी कृष्ण और चरखाधारी महात्मा गांधी का देश बनाना है।
जिस विचारधारा की बुनियाद पर भाजपा खड़ी है , आगे बढकऱ अपनी अवधारणा को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश कर रही है उसके चलते शायद वह यह भूमिका निभाने के लिए अभिशप्त है कि एक तरफ संविधान की शपथ लेंगे, दूसरी तरफ संविधान की धज्जियां उड़ायंगे। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि संविधान व लोकतांत्रिक ढांचा विचार रखने की अभिव्यक्ति की आजादी देता है, लेकिन किसी की हत्या की इजाजत नहीं देता ।
शिकायत में गांधीवादियों ने आरोप लगाया है कि प्रज्ञा की संविधान में आस्था नहीं है। यदि वे भोपाल से सांसद चुनी जाती है तो क्या संविधान के प्रति शपथपूर्वक लोकसभा की सदस्यता ग्रहण करने की उनकी कार्यवाही में दोहरी भूमिका निहित नहीं होगी? इधर, मुख्य निर्वाचन पदािधकारी वीएल कांताराव ने कहा है कि शिकायत, चुनाव आयोग को भेज दी गई है।
इन बिंदुओं पर सौंपा ज्ञापन
– प्रज्ञा को पार्टी से अलग किया जाए।
– चुनाव आयोग ऐसे उम्मीदवार के प्रति सख्त कदम उठाए।
– प्रज्ञा ने राजनीति में हिंसा को प्रतिष्ठित करने की कोशिश की है, जो संविधान के विरुद्ध है।
– क्या किसी पार्टी के उम्मीदवार के व्यक्तिगत विचारो से वास्तव में पार्टी का कुछ लेना-देना नहीं होता ?
– क्या ऐसे उम्मीदवार की उम्मीदवारी वापस लेना उचित नहीं होगा , अगर पार्टी में पारदर्शिता लानी हो तो ?