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भोपाल

कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का मांगा इस्तीफा

आदिवासियों को जूते बाटने का मामला। कांग्रेस बोली कैंसर फैलाने वाले जूते वापस ले सरकार

भोपालAug 26, 2018 / 09:02 am

दीपेश अवस्थी

Youth congress conference

Youth congress conference

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश के लाखों तेन्दूपत्ता संग्राहक ग़रीब आदिवासी भाई- बहनों को शिवराज द्वारा चरण पादुका योजना के तहत बड़े- बड़े आयोजन कर पहनाये जूते- चप्पलों के इनर सोल में, वैज्ञानिक एवं औधोगिक अनुसंधान परिषद के केंद्रीय चर्म अनुसंधान, चेन्नई की जाँच रिपोर्ट में गंभीर बीमारी केन्सर की संभावना वाले ख़तरनाक रसायन एज़ेडओ के मिलने की पुष्टि के गंभीर ख़ुलासे पर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान से जवाब माँगा है। नाथ ने कहा कि यह बड़ा ही गंभीर तथा आदिवासी भाई-बहनो के जीवन से जुड़ा मामला है।

उन्होंने मांग की है कि जीवन से खिलवाड़ की इजाज़त किसी को नहीं दी जा सकती है। शिवराज सरकार आदिवासियों को केन्सर के ख़तरे से बचाने के लिय शीघ्र ही ,अभी तक बाँटे गये सारे जूते-चप्पलों को वापस बुलवाएं और सारे मामले की उच्चस्तरीय जाँच होना चाहिये। नाथ ने कहा कि इस ख़ुलासे के बाद इस मामले में किसी बड़े भ्रष्टाचार व फ़र्ज़ीवाडे की बू आ रही है। क्योंकि प्रदेश के वनमंत्री इस मामले पर कुछ और ही तथ्य रख रहे हैं।

इस मामले में सच क्या है इसको लेकर शिवराज मेरे द्वारा इस संबंध में पूछे जा रहे सवालों का शीघ्र जवाब दें, ताकि सारी वास्तविकता सामने आ सके? वही प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने मुख्यमंत्री शिवराज से इस्तीफा मांगा है। कमलनाथ के सवाल:- कुल कितने जोड़ जूते-चप्पल इस योजना के तहत बांटने के लिये ख़रीदे हंै सरकार ने? तेन्दूपत्ता संग्राहकों में कितने जूते-चप्पल अभी तक बाँट चुकी है सरकार व कितने बाटना बाकी है? कितने अभी तक स्टाॅक में पड़े हैं? किस दिनांक से इस योजना की शुरुआत की गयी?

क्या बांटने के पूर्व इन जूते- चप्पलों की गुणवत्ता की जाँच करवायी गयी, यदि जांच करवायी गयी तो किस दिनांक को सेम्पल भेजे गये, कहाँ भेजे गये? उसकी रिपोर्ट कब आयी? उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाये? ऽ किस-किस कंपनी ने टेंडर में हिस्सा लिया था? उनकी क्या-क्या दर थी? टेंडर की क्या शर्तें थी? ऽ अभी वर्तमान में किस दर पर व किस कंपनी से ख़रीददारी की गयी? वनमंत्री कह रहे हैं कि 11 लाख जूतों में से 2 लाख जूतों में एज़ेडओ रसायन अधिक था, उन्हें रिजेक्ट किया गया। तेतीस हज़ार जुतो की क्वालिटी ख़राब थी, उसे वापस किया गया। तो आप बताये कि यह किस दिनांक को यह स्पष्ट हुआ कि एज़ेडओ अधिक था, उसके पहले कितने जूते-चप्पल बँट गये? उसकी जाँच रिपोर्ट सार्वजनिक हो? कुल कितने जूतों-चप्पलों की जाँच करवायी गयी? कितनो में एज़ेडओ की अधिकता की बात सामने आयी ? बाक़ी स्टाॅक का क्या किया? किस कंपनी के थे ये जूते?

जाँच रिपोर्ट के ख़ुलासे के बाद उस कंपनी पर क्या कार्यवाही की गयी? क्या उस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया गया? ऽ क्या इस रिपोर्ट के बाद बँटे जूते-चप्पल वापस बुलवाए गये? क्या इस ख़ुलासे के बाद भी जूते-चप्पल बाँटे गये या बांटना रोक दिया गये? किस दिनांक तक बाँटे गये व किस दिनांक से रोके गये? ऽ आपको इस सारे घटनाक्रम की जानकारी कब लगी? सारे ख़ुलासे के बाद आपने क्या क़दम उठाये? उम्मीद है कि शिवराज सिंह मेरे इन सारे सवालों का शीघ्र जवाब देंगे क्योंकि ये बड़ा ही गम्भीर मामला है। इन सवालों के जवाब से ही सारी स्थिति स्पष्ट होगी। नाथ ने इस पूरे मामले को लेकर एक उच्चस्तरीय जाँच करवाने की भी माँग की है।

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