पहले किया गया था यह दावा
कमलनाथ ने अपनी ओर से जारी बयान में कहा कि, पार्टी सितंबर के आखिरी सपत्ह तक दावेदारों के नामों की सूचि जारी कर देगी। बता दें कि, अक्टूबर में आचार संहिता लगने वाली है ऐसे में पार्टी के भीतर सवाल ये उठ रहे है कि, दावेदारों को जमीन पर उतरने का कितना मौका मिलेगा। एक सवाल यह भी काफी चर्चा में है कि, क्या एकबार फिर कांग्रेस 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में की गई गलती को दोहरा रही है ? इस उठते सवाल के पीछे कारण यह है कि, पहले कांग्रेस द्वार दावा किया गया था कि, अगस्त के पहले हफ्ते में उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी जाएगी, लेकिन किसी अटकल के चलते पहली बार तय किए गए समय में सूचि जारी नहीं हो पाई। इसके बाद एक बार कांग्रेस ने दावा किया था कि, सितंबर के पहले हफ्ते में दावेदारों के नाम की पहली सूचि जारी हो जाएगी, दावेदारों में फिर उम्मीद जगी, लेकिन वो उम्मीद भी खाली चली गई।
इस बार इसलिए बन रही असमंजस
फिलहाल, कांग्रेस की ओर से एक बार फिर जो नया दावा किया जा रहा है, वो यह कि, सितंबर के आखिरी हफ्ते में नामों का ऐलान हो जाएगा। लेकिन अब भी दावा पूरा होगा यह भी स्पष्ट नहीं है। क्योंकि अब तक स्टेट इलेक्शन कमेटी की टिकट को लेकर एक भी बैठक नहीं हुई है, जो उम्मीदवार के नाम स्क्रीनिंग कमेटी को भेजती है। AICC और पीसीसी के बीच समन्वय बैठाने वाले नेता भी नहीं बता पा रहे कि आखिरकार मामला अटका कहां है, इसमें फजीहत टिकट के दावेदारों की हो रही है।
एक गलत कदम और बिगड़ सकते हैं समीकरण
अब अक्टूबर में तो आचार संहिता लग जाएगी। ऐसी स्थिति में अगर सितंबर के अंतिम सप्ताह में दावेदारों की सूचि का ऐलान होता है, तो उम्मीदवारों के पास काम करने का पर्याप्त समय नहीं बचेगा। जबकि, कांग्रेस प्रत्याशियों को इस बार मेदान में उतरने के लिए बड़ी बिसात बिछानी होगी, क्योकि कांग्रेस पिछले 15 सालों से सत्ता से बाहर है। ऐसे में उम्मीदवारों को कम से कम अपने टारगेट से तीन गुना ज्यादा मेहनत करना पड़ेगी, तब जाकर समीकरण अनुकूल हो सकते हैं। लेकिन, इन हालातों में क्या ऐसा हो पाना मुम्किन है, पार्टी के लिए चिंतन का विषय है।