– ये होंगे महत्त्वपूर्ण बदलाव
लॉटरी से चयनित प्रॉपर्टी के पजेशन के पहले उपभोक्ता उपलब्ध प्रॉपर्टी में से दूसरे का चयन कर सकेगा। इसके लिए उसे आवेदन करना होगा। इसके लिए उसे कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से पांच फीसदी अतिरिक्त शुल्क देना होगा। अभी ऐसा बदलाव नहीं हो सकता है।
पूर्णत: विकसित प्रॉपर्टी-प्लॉट को मुख्यत: एकमुश्त कीमत पर ही बेचा जाएगा। इसमें अधिकतम आठ तिमाही की किस्त की जा सकती है, लेकिन इसके लिए 10 फीसदी ब्याज देना अनिवार्य होगा। अभी हर जिले में रेपो रेट पर अलग-अलग ब्याज लगता है। अब फिक्स दस फीसदी ब्याज रहेगा।
30 साल की लीज के पट्टे को आवासीय श्रेणी में 0.5 फीसदी और व्यावसायिक श्रेणी में एक फीसदी बाजार मूल्य का प्रीमियम अतिरिक्त देकर रिन्यू किए जाने का भी प्रस्ताव है।
प्रस्तावित नियमों में लीज रिन्यूअल के अधिकार विकास प्राधिकरणों के सीईओ को दिए जा रहे हैं। अब तक यह अधिकार संचालक मंडल के पास होते थे।
आवासीय प्लॉट पर व्यावसायिक उपयोग के मामले में समझौते और जुर्माने के अधिकार सीईओ से लेकर संचालक मंडल को देने का प्रस्ताव है।
कोई भी उपभोक्ता अपनी प्रॉपर्टी के पास खाली पड़े प्राधिकरण की जमीन के टुकड़े को कलेक्टर गाइडलाइन पर ही खरीद सकेगा। इसके लिए उसे आवेदन करना होगा।
सरकार की कोशिश है कि विकास प्राधिकरणों की प्रॉपर्टी में साठगांठ खत्म हो जाए। कई जगह विवाद वाली प्रॉपर्टी की सीईओ के स्तर पर समझौते करके सस्ते दामों में खरीदी-बिक्री कर ली जाती थी। इसका असर भोपाल-इंदौर जैसे बड़े शहरों के प्राधिकरणों में काफी होगा। इन दोनों शहरों सहित अन्य शहरों के प्राधिकरणों के प्लॉट, फ्लैट, मकान व दुकान सहित अन्य प्रॉपर्टी इन नियमों के दायरे में आएंगी।