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भोपाल

कोरोना ने आधा किया बच्चों का पोषण

गर्भवती महिलाओं को नहीं मिला 67 फीसदी आहार
– 6 जिलों में किए गए अध्ययन की रिपोर्ट में खुलासा
 

भोपालJun 04, 2020 / 06:52 pm

Arun Tiwari

कोरोना ने आधा किया बच्चों का पोषण

कोरोना ने आधा किया बच्चों का पोषण

भोपाल : कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन का सबसे बुरा असर बच्चों और गर्भवती—धात्री महिलाओं के पोषण पर पड़ा है। विकास संवाद ने छह जिलों में 45 दिनों तक पोषण आहार का अध्ययन कर एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लॉकडाउन के दौरान बच्चों को जरुरत का आधा पोषण ही मिला जबकि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को आधे से भी कम पोषण प्राप्त हुआ। बच्चों में रोजाना की आवश्यकता के हिसाब से 693 कैलोरी यानी 51 फीसदी पोषण की कमी दर्ज की गई। वहीं गर्भवती महिलाओं में रोजाना 2157 कैलोरी यानी 67 फीसदी और स्तनपान कराने वाली माताओं में 2334 कैलोरी यानी 68 फीसदी की कमी आई। विकास संवाद के सचिन जैन कहते हैं कि प्रदेश में चलने वाले विभिन्न पोषण और स्वास्थ्य कार्यक्रम 70 से 100 फीसदी तक निष्क्रिय रहे। इस रिपोर्ट में प्रदेश के 122 गांवों के परिवारों के पोषण का 25 मार्च से 10 मई तक की अवधि का अध्ययन किया गया है।

इस तरह प्रभावित हुआ पोषण :
अध्ययन में आया कि 35 प्रतिशत परिवारों को इस दौरान कोई टीएचआर का पैकेट नहीं मिला, जबकि 38 फीसदी परिवारों को दो पैकेट ही मिले। इसी तरह 3 से 6 साल के 60 फीसदी बच्चों को रेडी टू ईट फूड नहीं मिला है। वहीं आंगनवाड़ी बंद होने से कुपोषण की पहचान के लिए पिछले दो महीनों में किसी भी हितग्राही का वजन और कद नहीं नापा गया है। लॉकडाउन से पहले मां अपने बच्चे को औसतन 6 बार स्तनपान करवा पाती थी जो लॉकडाउन में बढ़कर दस से बारह बार हो गया। महिलाओं ने यह बताया है कि घर में पर्याप्त भोजन नहीं है और बच्चे को बार-बार भूख लगने के कारण, वो अब ज्यादा स्तनपान करवा रही हैं जबकि माताओं को भी पर्याप्त पोषण नहीं मिल रहा जिसका असर उनके शरीर पर पड़ रहा है। भोजन नहीं मिल रहा था और इसका असर उनके शरीर पर भी पड़ेगा। प्राथमिक स्कूल के 58 फीसदी बच्चों को मिड डे मील की जगह कोई भोजन भत्ता नहीं दिया गया। हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में 80 फीसदी छात्रों को मध्याह्न भोजन भत्ता प्राप्त हुआ है, जबकि 20 फीसदी इससे वंचित रहे हैं।

परिवार में कर्ज का बोझ :
कोविड के चलते लोग कर्ज में भी आए हैं। 24 फीसदी परिवारों पर कुल 21,250 रुपए का कर्ज हुआ है। 12 फीसदी परिवारों पर 3000-4000 रुपए के बीच कर्ज है। वहीं 9 फीसदी परिवारों ने 1000 रुपये से भी कम उधार लिया है। यह कर्ज रोजमर्रा की जरूरतों जैसे अनाज और सब्जियों के साथ-साथ तेल, मसाले और अन्य आवश्यक सामग्री खरीदने के लिए लिया गया।

30 फीसदी लोगों को नहीं मिला सस्ता राशन :
सार्वजानिक वितरण प्रणाली के तहत 52 प्रतिशत परिवारों को योजना का पूरा लाभ मिला है, वहीं 18 प्रतिशत परिवार आंशिक रुप से लाभान्वित हुए हैं। 30 फीसदी परिवार योजना से वंचित रहे। करीब 9 फीसदी परिवार बीपीएल कार्ड होने के बाद भी राशन से वंचित रहे। पांच सदस्यों वाले परिवार को औसत 65 किलोग्राम मासिक राशन की जरूरत होती है लेकिन उन्हें केवल 25 किलोग्राम राशन ही मिला। इससे प्रति सदस्य के पोषण में गिरावट आई है जो आधे से भी कम है।

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