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भोपाल

नवनिर्माण भारत : कोरोना की चुनौती से बदलेगा व्यापार का अंदाज, निकलेगी निवेश की नई राह

– 14 लाख प्रवासी मेनपॉवर अब मध्यप्रदेश की नई ताकत- लॉजिस्टिक हॅब के रूप में मध्यप्रदेश में अपार संभावना- स्थानीय क्लस्टर को नए सिरे से विकसित करने का रोडमैप–

भोपालMay 25, 2020 / 12:09 pm

जीतेन्द्र चौरसिया

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jitendra chourasiya@ भोपाल। कोरोना काल के बाद अब उद्योग और व्यापार का पूरा तरीका बदल जाएगा। ऐसे में ध्वस्त हुई इकोनॉमी को वापस पटरी पर लाने नए सिरे से औद्योगिक विकास की जरूरत है। इसमें बाहरी राज्यों से वापस आई करीब 14 लाख मजदूरों की मेनपॉवर मध्यप्रदेश के लिए विकास की नई राह हो सकती है। औद्योगिक विकास का नया खाका यदि सही तरीके से गढा गया, तो लॉजिस्टिक हॅब के रूप में मध्यप्रदेश पूरे देश का केंद्र बिंदु बन सकता है। आनलाइन कारोबार का भी अगली स्टेज अब देखने का मिल सकता है। इसमें जीएसटी आने के पहले तक मध्यप्रदेश निवेश के लिए उतना मुफीद नहीं था, जितना अब है। उस पर 14 लाख मजदूरों की अतिरिक्त मेनपॉवर और क्लस्टर वाइज निवेश का रोडमैप बिल्डअप मध्यप्रदेश की नई इबारत लिख सकता है। जानिए, किस प्रकार हो सकता है मध्यप्रदेश का भी नवनिर्माण…

ये होगा नया व्यापार फार्मूला-
बदले परिदृश्य में अब लागत और खर्च कम करने का फार्मूला काम करेगा। आनलाइन बिक्री और पेमेंट बढ़ेगा। ऐसे उत्पाद जो अभी तक आनलाइन प्लेटफार्म व होम डिलीवरी पर नहीं थे, वे भी इस मीडियम पर आएंगे। होटल, टूरिज्म और टूरिंग बिजनेस फिलहाल ज्यादा नहीं चलेगा, लेकिन इसमें क्वालिटी व सेफ ट्रीटमेंट बेस्ड इनोवेशन होने पर काम बढ़ेगा। हेल्दी, स्वच्छ और टच-फ्री कांसेप्ट धीरे-धीरे हर प्रोडेक्ट तक दायरा बढ़ाएगा। इसलिए उसी हिसाब से व्यापार जगत को तैयारी करने की जरूरत है।

पहली जरूरत क्लस्टर वाइज निवेश की-
मध्यप्रदेश के नवनिर्माण के लिए क्लस्टर वाइन निवेश का रोडमैप बनना चाहिए। इसके लिए जिन इलाकों में जिन सेक्टर के विकास की संभावना है, वहां पर उनके लिए काम होना चाहिए। ग्लोबल इंवेस्टर समिट के समय इसका जो खाका बना था, उसे अब व्यावहारिक रूप से नई जरूरतों के सांचे में ढालकर क्रियान्वित करना होगा। इसके लिए नए सिग्मेंट चयनित करके काम होना चाहिए। कोरोना काल के बाद किन प्रोडेक्ट की जरूरत होगी और किन सेक्टर्स के मार्केट में बूम आएगा उन्हें चिन्हित करके काम की जरूरत है।

ऐसे तैयार हो रोडमैप : मजदूर व निवेश की उपलब्धता
जिन जिलों में अभी प्रवासी मजदूरों की संख्या ज्यादा है, उन इलाकों को निवेश के नए सेक्टर के रूप में देखा जा सकता है। क्योंकि, अभी प्रवासी मजदूरों की अधिकता के कारण सस्ती मेनपॉवर उद्योगों को मिल पाएगी। वर्तमान में राज्य की सरहदों से सटे जिलों में अधिक मेनपॉवर आई है। झाबुआ, अलीराजपुपर, नीमच, मंदसौर, सतना, छतरपुर, मुरैना सहित अन्य जिलों में प्रवासी मजूदर ज्यादा पहुंच रहे हैं। इसलिए इन इलाकों से सटे औद्योगिक क्लस्टर में अधिक संभावनाएं देखी जा सकती है।

लॉजिस्टिक हॅब : बिग पॉवर ऑफ इंडिया-
अभी तक मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास की दृष्टि से देश में पहली पंक्ति से कोसों दूर रहा है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद निवेश की नई राह खुल सकती है। वजह ये कि जीएसटी के बाद मध्यप्रदेश अब देश का केंद्र बिंदु होने के कारण उत्पाद के परिवहन में सबसे मुफीद है। मध्यप्रदेश में उत्पादन का गोदाम बनाने की स्थिति में प्रत्येक राज्य तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस कारण देश-विदेश की कंपनियों के लिए भारत के हर कोने तक पहुंचने का सबसे बेहतर केंद्र बिंदु मध्यप्रदेश हो सकता है। इसलिए नए निवेश की राह तो खुलेगी ही, लेकिन स्थानीय उद्योग समूह भी इसका बड़ा फायदा उठा सकते हैं। कोरोना के कारण अब प्रोडेक्ट की लागत और ट्रांसपोर्टेशन के खर्च को नियंत्रित करना बड़ा मुद्दा रहेगा। इसमें मध्यप्रदेश की उदारवादी निवेश नीति और भौगोलिक खूबी बड़ी मददगार हो सकती है।

मध्यप्रदेश में निवेश क्लस्टर :
ग्वालियर-गदाईपुरा में इंडस्ट्रियल क्लस्टर
देपालपुर (इंदौर) में रेडीमेड गारमेंट क्लस्टर
रतलाम में नमकीन क्लस्टर
इंदौर सांवेर में नमकीन क्लस्टर
इन्दौर-रंगवासा में कन्फेक्शनेरी क्लस्टर
बदोही-शिवपुरी में फूड क्लस्टर
नरसिंहपुर में गुड़ क्लस्टर-शुगर इंडस्ट्री
जबलपुर में मिष्ठान नमकीन और पॉवरलूम सेक्टर क्लस्टर
बेटमा इंदौर में फार्मा-रेडीमेड गारमेंट व हर्बल क्लस्टर
सागर का बीना रिफायरी सेक्टर
देवास-ऑटोमोबाइल व रबर क्लस्टर
छिंदवाड़ा-उद्यानिकी फसलों का क्लस्टर
कटनी में स्टोन पार्क क्लस्टर

इंफ्रास्ट्रक्चर-कनेक्टिविटी सबसे अहम-
औद्योगिक विकास व निवेश के लिए सबसे अहम इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी है। इसलिए इस पर नए सिरे से ध्यान देना होगा। निवेश के नए क्षेत्रों को मेनपॉवर व अन्य जरूरतों के हिसाब से सबसे पहले विकसित करना होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में समय लगता है, इस कारण उससे पहले कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना जरूरी होगा। जहां प्रवासी मजदूरों की मेनपॉवर है, वहां से निवेश एरिया की कनेक्टिविटी बढ़ाई जाए तो ज्यादा आसानी होगी।

रॉ-मटेरियल की उपलब्धता का गणित-
रॉ-मटेरियल के हिसाब से क्लस्टर को विकसित करने और कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जा सकती है। वजह ये कि कोरोना काल के बाद मार्केट की डिमांड बदल जाएगी। ऐसे में जिन प्रोडेक्ट्स की डिमांड बढ़ती है, उन प्रोडेक्टस के उत्पादन में बढ़ोत्तरी का रोडमैप तैयार करना होगा। इसमें भी स्थानीय उपलब्धता को ही प्राथमिकता दी जाएगी। यानी स्थानीय स्तर पर ही रॉ-मटेरियल मिलेगा, तो अधिक लिया जाएगा।

विकसित जोन के आस-पास नई संभावनाएं-
मध्यप्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए नए सिरे से प्लानिंग की जरूरत है, लेकिन इसमें पहले से विकसित एरिया के आस-पास की लोकेशन अधिक कारगर है। इंदौर-भोपाल कॉरीडोर पर निवेश का नया प्लान सरकार लाने जा रही है। इसमें चुनिंदा जगहों पर औद्योगिक एरिया विकसित किए जा सकते हैं। इसके अलावा स्पेशल इकोनॉमिक जोन पीथमपुर, जापानी इंड्रस्टियल टाउनशिप (इसका एक हिस्सा अब लोकल निवेशकों के लिए मंजूर) पीथमपुर, क्रिस्टल पार्क इंदौर, आईटी पार्क-3 इंदौर, प्लास्टिक पार्क तामोट व ग्वालियर, इंडस्ट्रियल एरिया सीतापुर व समार्ट इंडस्ट्रियल पार्क शिवपुरी और सागर की बीना रिफायरी के आस-पास के इलाकों पर फोकस किया जा सकता है।

एक्सपर्ट व्यू : नई संभावनाएं, जरूरत उसी हिसाब से काम की-
कोरोना के कारण अब जीवन शैली बदल जाएगी। जो सरकारें पचास सालों में नहीं सीखा पाई, वह एक बीमारी ने सीखा दिया। अब लोग हेल्दी फूड खाएंगे। उद्योगों की कुछ संभावनाएं खत्म हुई है, तो हजारोंं नई संभावनाएं आई हैं। अब क्वालिटी फूड व मेडिसीन पर फोकस होगा। पैसा खर्च करेंगे, लेकिन तरीका बदल जाएगा। अब मॉस प्रोडेक्शन की जगह कवालिटी प्रोडेक्शन आएगा। जो क्वालिटी देेंगे, उनका बड़ा मार्केट होगा। छह महीने में सामान्य स्थिति आने लगेंगे। कुछ सेक्टर कमजोर होंगे और कुछ मजबूत होंगे। फूड सेक्टर में सबकुछ नहीं खाया जाएगा, लोगों का इम्युनिटी सिस्टम मजबूत करने पर फोकस होगा। साफ-सफाई, स्वच्छता और हेल्दी फूड पर ध्यान दिया जाएगा। इससे जुड़ी इंडस्ट्री बढ़ेगी। मध्यप्रदेश में निवेश के लिए ध्यान रखना होगा। निवेश पैटर्न बदलेगा। सब बर्बाद नहीं हो रहा, फिर इकोनॉमी ठीक होगी। जहां सुविधाएं होंगी, वहां निवेश होगा। मध्यप्रदेश में श्रम कानून में सुधार किया है, लेकिन ये सुधार व्यावहारिक होना चाहिए। सिंगल विंडो जैसा नाम का सुधार नहीं होना चाहिए। व्यावहारिक स्थितियों के हिसाब से काम होगा। सुधार समय रहते होना चाहिए। सही निर्णयों की जरूरत सही समय पर करने की है। – डा. राधाशरण गोस्वामी, अध्यक्ष, एमपी फेडरेशन-फार्मा सेक्टर, मप्र

एक्सपर्ट व्यू : व्यापार का पूरा अंदाज बदल जाएगा-
बिलकुल अलग तरीके से काम होगा। सोशल मीडिया और आनलाइन मार्केटिंग का जमाना बढ़ेगा। नॉन-अफेशियल खर्च बिलकुल खत्म करने पड़ेंगे। उधारी बिलकुल कम होगी, नकद का चलन बढ़ेगा। मार्जिन कम करके भी लोग खपत बढ़ाएंगे। प्रोडेक्ट इनोवेशन होगा। बेचने का ढंग बदलेगा। लक्जरी में कमी आएगी। सस्ती और टिकाऊ चीजों का चलन बढ़ेगा। जिसके पास पूंजी है, वो ही टिका रह पाएगा। छह महीने कमाने की नहीं, केवल टिके रहने के लिए काम करना होगा। इस साल के अंत तक तो केवल टिके रहने के लिए ही कारखाना चलाना होगा। वोकल फॉर लोकल का ट्रेन बदलेगा, दिल्ली-मुंबई से खरीदी जाने वाली चीजें और रॉ-मटेरियल अब पहले स्थानीय स्तर पर ही देखा जाएगा। यहां नहीं मिलेगा तो ही बाहर से आएगा। लोकल खरीदी की नई चेन बनेगी। इसी पैटर्न पर काम करना होगा। ई-पेमेंट बहुत बढ़ जाएगा। व्यापार पूरी तरह आगे चलकर बदल जाएगा। एक्सपोर्ट की संभावना बढ़ेगी, लोकल आदमी भी बाहर बेच सकेगा।
– राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडस्ट्री मंडीदीप, भोपाल
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