कोरोना संक्रमण की शुरुआत वुहान शहर में हुई, यह नानजिंग से करीब ही था। इसके बाद भी उन्होंने भारत नहीं लौटने का फैसला लिया। उन्होंने न सिर्फ खुद को सुरक्षित रखा, बल्कि ट्वीट के जरिए केंद्र सरकार को कोरोना के फैलाव को रोकने के सुझाव भेजे। डा. विनय ने चीन से पत्रिक से खास बातचीत में कहा कि कोरोना वायरस सांस द्वाराशरीर में प्रवेश करता है और यह वायरस हवा, मेटल और लकड़ी में काफी समयतक जीवित रह सकता है। इसे रोकने का सबसे सरल उपाय यही है कि कोरोना प्रभावित क्षेत्रों में बिल्कुल भी आवाजाही न हो।
चीन में आज भी सख्ती है
डा. विनय कहते हैं कि जब चीन में वायरस चरम पर था तो हमें यूनिवर्सिटी से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। हमें सामान आनलाइन आर्डर करके मंगाना पड़ता था। मैं सामान लेकर बालकनी में रख देता था। 24 घंटे तक उसे नहीं छूता था। हर दिन दरवाजे के हैडंल तक को सैनिटाइजर से साफ करता था। यहां अभी भी हर जगह गेट पर से इंट्री रहती है जो आपकी बाडी टेम्प्रेचर और कार्ड्स जांच के बाद ही अंदर बाहर जाने की अनुमति दी जाती है। डा. विनय कहते हैं कि चीन में इस वायरस के चरम के समय डर लगा रहता था तो मन को शांत करने के लिए मेडिटेशन और योग करता रहा। खुद को सकारात्मक रहने की कोशिश करता हूं। हर दिन परिजनों, दोस्तों से फोन पर बात करता हूं। यहां अभी लॉकडाउन खुलने के बावजूद भी कम से कम बाहर निकलने की हिदायत है। प्रतिदिन सुबह-शाम बॉडीटेम्परेचर चेक कता हूं।