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भोपाल

किसानों को ओलावृष्टि का मुआवजा मिला नहीं, अब सर्वे में गफलत से फिर बढ़ी आफत

हजारों किसानों की शिकायतें: फसल को देखने खेतों में नहीं पहुंचा मैदानी अमला

भोपालOct 06, 2019 / 07:01 pm

रविकांत दीक्षित

Crops of farmers were destroyed due to excessive rainfall in MP

Crops of farmers were destroyed due to excessive rainfall in MP

भोपाल. अतिवृष्टि और बाढ़ से बर्बाद फसलों के मुआवजे का किसानों को बेसब्री से इंतजार है। जिलों में सर्वे शुरू हुआ भी है तो आधा-अधूरा। इससे किसान असंतुष्ट हैं और आशंकित भी। पटवारियों के हड़ताल पर जाने से भी सर्वे प्रभावित हो रहा है। किसान शिकायतें लेकर तहसील और जिला मुख्यालय पहुंच रहे हैं। कई किसान तो ऐसे भी हैं, जिन्हें ओलावृष्टि का मुआवजा अब तक नहीं मिला है।

जानें प्रदेश में कहां-कैसे हैं हालात

चंबल: बाढ़ आने के बाद प्रशासन ने किनारे के 33 गांवों में सर्वे कराया, लेकिन पार्वती नदी किनारे के गांवों में नहीं। अतिवर्षा से प्रभावित फसलों के नुकसान का भी आकलन नहीं किया। विकासखंड श्योपुर के ग्राम लहचौड़ा के किसान धर्मराज शर्मा और भोलाराम शर्मा ने बताया, प्रशासन का कोई नुमाइंदा और न ही पटवारी सर्वे करने आया है। रतलाम जिले में सर्वे दलों का अब भी इंतजार है। जावरा, नामली और सैलाना में किसान खराब फसलों को लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं।

खंडवा: खंडवा जिले के ग्राम लाडऩपुर के किसान सचिन पटेल ने बताया पटवारी, बीमा कंपनी व कृषि अधिकारियों ने प्याज को छोड़ सोयाबीन, कपास का ही सर्वे किया। सवाल है- प्याज फसल में हुए नुकसान का मुआवजा कैसे मिलेगा। राहत नहीं मिली तो अगली फसल की बोवनी में मुसीबत होगी।

नीमच: जिले में खरीफ फसलों को 100 फीसदी नुकसान हुआ है, फिर भी सर्वे के बाद निर्णय लेने की बात कही जा रही है। क्षेत्र में ऋण माफी नहीं होने से करीब 32 हजार किसान ओवरड्यू हो गए हैं। फसल प्रभावित होने से कर्ज का बोझ और बढ़ गया है। अब तक सर्वे करने भी कोई जिम्मेदार नहीं पहुंचा है।

देवास: सितंबर के अंतिम सप्ताह में किए गए दावे खोखले साबित हो रहे हैं। कलेक्टर डॉ. श्रीकान्त पाण्डेय ने प्रभारी मंत्री जीतू पटवारी को जानकारी दी थी कि सर्वे 24 सितम्बर तक हो जाएगा। दावा किया था कि जिले की सभी तहसीलों में संयुक्त दल सर्वे कर रहा है।

सतना: उड़द, मूंग, तिल एवं सोयाबीन को नुकसान हुआ है। अधिकारी सर्वे में 30त्न नुकसान दिखाकर प्रशासन को गुमराह कर रहे हैं। किसान महेंद्र सिंह बताते हैं, 2016 में नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने राहत बांटी थी। उस बार भी कई किसानों को नुकसान की 10 फीसदी भी राहत नहीं मिली थी।

ऐसे हैं सर्वे के हाल

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