आयकर अफसरों के अनुसार, अशोकनगर निवासी कल्याण उर्फ कल्ला सेहरिया का नाम सरकारी रिकॉर्ड में अति गरीबी की श्रेणी में दर्ज है, लेकिन उसके नाम पर 25 करोड़ रुपए की जमीन खरीदी गई है।
यह गोलमाल राजधानी भोपाल के दो प्रॉपर्टी कारोबारियों ने 2008 से 2011 के बीच किया था। अब विभाग ने कल्याण के नाम से खरीदी गई प्रॉपर्टी को बेनामी मानकर 90 दिन का नोटिस जारी किया है।
शर्मा परिवार ने लगाया पैसा
जांच में सामने आया कि कल्याण के नाम से भोपाल के शशिशंकर शर्मा और विकास शर्मा ने पैसा लगाकर हुजूर तहसील के काकडियां, महावदिया एवं दौलतपुरा गांव में 22 एकड़ जमीन खरीदी है। इसका बाजार मूल्य वर्तमान दर पर करीब 25 करोड़ है।
जांच में सामने आया कि कल्याण के नाम से भोपाल के शशिशंकर शर्मा और विकास शर्मा ने पैसा लगाकर हुजूर तहसील के काकडियां, महावदिया एवं दौलतपुरा गांव में 22 एकड़ जमीन खरीदी है। इसका बाजार मूल्य वर्तमान दर पर करीब 25 करोड़ है।
ऐसे हुआ गोलमाल का खुलासा
आयकर अधिकारियों को सूचना मिली थी कि कल्याण का नाम बीपीएल कार्ड में दर्ज है। वह राशन भी लेता है, लेकिन उसका रहन-सहन किसी बड़े व्यक्ति की तरह है।
आयकर अधिकारियों को सूचना मिली थी कि कल्याण का नाम बीपीएल कार्ड में दर्ज है। वह राशन भी लेता है, लेकिन उसका रहन-सहन किसी बड़े व्यक्ति की तरह है।
इस आधार पर भोपाल की एक टीम ने अशोकनगर जिले के ग्राम मामौन पहुंचकर जांच की तो मामला संदिग्ध लगा। अफसरों ने कल्याण को बुलाकर सख्ती की तो वह जमीन के संबंध में सही जवाब नहीं दे पाया और राज खुल गया।
नोटिस जारी कर मांगा जवाब
कल्याण के साथ उसके नाम से जमीन खरीदने वाले शर्मा बंधुओं के बयान हो चुके हैं। तीनों के बयान विरोधाभासी हैं, इसलिए उन्हें नोटिस जारी कर 90 दिन में जवाब मांगा गया है। उन्हें बताना होगा कि किसने-कितना पैसा लगाया।
कल्याण के साथ उसके नाम से जमीन खरीदने वाले शर्मा बंधुओं के बयान हो चुके हैं। तीनों के बयान विरोधाभासी हैं, इसलिए उन्हें नोटिस जारी कर 90 दिन में जवाब मांगा गया है। उन्हें बताना होगा कि किसने-कितना पैसा लगाया।
अब तक 250 प्रॉपर्टी बेनामी
आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति एक्ट 2016 लागू होने के बाद से अब तक मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में 250 प्रॉपर्टी को बेनामी प्रॉपर्टी के रूप में उजागर किया है। खास बात यह है कि सबसे ज्यादा बेनामी प्रॉपर्टी भोपाल में सामने आई है।
आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति एक्ट 2016 लागू होने के बाद से अब तक मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में 250 प्रॉपर्टी को बेनामी प्रॉपर्टी के रूप में उजागर किया है। खास बात यह है कि सबसे ज्यादा बेनामी प्रॉपर्टी भोपाल में सामने आई है।