बारिश बंद होने के बाद दिसम्बर के बाद से बारिश आने तक इसका उपयोग करने पर फसल जल जाती है, जमीन की पैदावार कम हो जाती है। इसमें नहाने से फोड़े फुंसियां और खुजली की शिकायत आमतौर पर बनी हुई है। छोड़ा गया रसायन तालाब, डैम से लेकर नालों तक में काले रंग के साथ तेल जैसी परत लिए बहता देखा जा सकता है।
जहां इसका बहाव सकरी जगह से तेजी से हो रहा है, वहां इतना झाग बन जाता है कि नाला दिखाई ही नहीं देता। हवा में उड़ता झाग और तेलिया काला पानी बिना जांच के ही रसायन का प्रमाण दे रहा है। शिकायत कर्ताओं ने बताया कि एनजीटी नेे पीसीबी, एकेव्हीएन, मप्र राज्य पर्यावरण निर्धारण मूल्यांकन प्राधिकरण से लेकर हाउसिंग बोर्ड तक को नोटिस दे चुके हंै, फिर भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। रसायन युक्त पानी अब भी बिना ट्रीटमेंट के छोड़ा जा रहा है।
घट रही पैदावार
मंडीदीप व भोजपुर से लगे खेतों में किसान दिसम्बर के बाद से बेतवा का पानी खेतों में डालने तक से डरते हैं। भोजपुर मंदिर से लगे मठघेरी गांव के किसान महेश मीणा ने बताया कि नदी से जब तक बारिश का पानी तेजी से बहता है, तब खेती में उसका उपयोग किया जाता है।
दिसम्बर में पानी बंद होने से फैक्ट्रियों का रसायन युक्त पानी बहने लगता है। खेत में उस पानी को डालते हंै तो फसल जल जाती है। जमीन की पैदावार भी कम हो जाती है।
10 नहाने से लोगों को होती है खुजली
गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र, बीएचईएल व न्यू मार्केट, अरेरा कॉलोनी तक का पानी लहारपुर डैम में आता है। इससे उठता झाग बागमुगालिया, अरविंद विहार व इससे लगी कॉलोनी में उड़ता है। बागमुगालिया एक्सटेंशन के रहवासी समिति अध्यक्ष उमाशंकर गुप्ता ने बताया कि डैम से लगी कॉलोनियों के बोरिंग इससे सूख चुके हैं। बड़ी संख्या में लोग बीमारी की गिरफ्त में आ चुके हैं।
फैक्ट्रियों से छोड़े जा रहे रसायन युक्त पानी से खेतों को हो रहे नुकसान को लेकर कई बार शिकायत की जा चुकी है। मामला जांच के लिए भी जाता है, पर कार्रवाई नहीं होती। इस पानी से सब्जियां पैदा की जा रही हंै, वह स्वास्थ्य के लिए लाभ हानिकारक हैं।
प्रकाश राय, प्रदेश उपाध्यक्ष किसान कांग्रेस
पानी के प्रदूषण की रिपोर्ट पेश की जा चुकी है। फोटो वीडियो तक दिए हैं। सभी विभागों को शिकायत होने के बाद भी कार्रवाई खानापूर्ति तक सीमित है। जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होगा, तब तक शासन नहीं चेतेगा।
डॉ. सुभाष सी पांडेय, पर्यावरिणविद्