डेड लाइन समाप्त, अटका करोड़ों का काम
सतना । विद्युत उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए शुरू हुई एक और योजना एसएमएस योजना की तरह ही ठप सी पड़ गई है। हम बात कर रहे हैं फीडर सेपरेशन योजना की। घरेलू और कृषि पंप फीडर अलग-अलग करने के लिए बिजली कंपनी की ओर से शुरू हुई यह योजना भी लापरवाही की भेंट चढ़ […]
सतना । विद्युत उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए शुरू हुई एक और योजना एसएमएस योजना की तरह ही ठप सी पड़ गई है। हम बात कर रहे हैं फीडर सेपरेशन योजना की। घरेलू और कृषि पंप फीडर अलग-अलग करने के लिए बिजली कंपनी की ओर से शुरू हुई यह योजना भी लापरवाही की भेंट चढ़ चुकी है। आलम यह है कि जिस योजना को जुलाई 2012 में पूरा हो जाना चाहिए था, वह अभी तक चल रही है। इतना ही नहीं अभी भी इस योजना के पूरे होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से आश्वासन जरूर दिया जा रहा है कि जल्द ही योजना पूरी होगी लेकिन कब, इसका जवाब उनके पास नहीं है।
इस योजना के तहत घरेलू कनेक्शनों के लिए 24 घंटे विद्युत सप्लाई की जाती, वहीं कृषि पंपों के लिए 10 घंटे बिजली सप्लाई होती। फीडर सेपरेशन का कार्य नवंबर 2010 में शुरू हुआ। इस कार्य की जिम्मेदारी गुडग़ांव की एरा इंफ्रा कंपनी को दी गई। योजना शुरू होने के 18 महीने के अंदर ग्रामीण संभाग में लगे फीडरों को सेपरेट किया जाना था। शुरुआत में तो काम तेजी से शुरू हुआ, लेकिन गुजरते वक्त के साथ स्थिति बदहाल होती गई। निर्धारित समयावधि भी गुजर गई लेकिन 20 प्रतिशत गांवों में भी फीडर सेपरेशन का कार्य पूरा नहीं हो सका। इसके बाद जिम्मेदार ठेका कंपनी को अल्टीमेटम दिया गया और जल्द से जल्द फीडर सेपरेशन का कार्य पूरा करने के लिए कहा गया। इसके बाद भी सेपरेशन के कार्य में कोई तेजी नजर नहीं आई। आलम यह है कि अभी तक सिर्फ 35 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो सका है, जबकि 65 प्रतिशत काम होना बाकी है।
फीडर हों अलग तो मिले राहत
फीडर सेपरेशन का कार्य जितना जल्दी पूरा होगा, उतना ही विद्युत उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। घरेलू और कृषि पंप के फीडर अलग-अलग होने से भरपूर बिजली तो मिलेगी ही साथ में ट्रांसफॉर्मरों पर पडऩे वाला भार भी कम हो जाएगा।