उन्होंने स्वागत-सत्कार न करने के भी निर्देश जारी किए हैं। ये एडवायजरी उनके कार्यालय से औपचारिक रुप से जारी की गई है। उनके दौरा-कार्यक्रमों के साथ भी नोट लगाकर इन बिंदुओं को भेजा जा रहा है। दिग्विजय सिंह ने ये पहल महात्मा गांधी की १५०वीं जयंति के मौके पर की है। उनका मानना है कि गांधी के अनुसार रोजमर्रा की जिंदगी में दिखावे से ज्यादा सादगी की आवश्यकता है और वे यही कोशिश कर रहे हैं।
दिग्विजय के कार्यालय से ये एडवायजरी जारी :
– दिग्विजय सिंह के मुख्य आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रमों में वे मंच पर नहीं बैठेंगे। मंच पर सिर्फ मंच संचालक रहें। संचालक के आमंत्रित करने पर वक्ता मंच पर पहुंचें। सम्मान समारोह में सम्मानित होने वाले और सम्मानित करने वाले लोगों को ही मंच पर बुलाया जाए।
– उनका स्वागत फूल,माला और गुलदस्ते न करें। आयोजनकर्ता गांधीजी की विचारधारा के अनुसार स्वागत के लिए सूत की माला का प्रयोग कर सकते हैं। सिर्फ एक ही व्यक्ति स्वागत करे। बैनर,पोस्टर और फ्लैक्स पर उनकी तस्वीर न लगाएं। ढोल,आतिशबाजी और पटाखों का प्रयोग न करें। उनके नाम की नारेबाजी भी न करें।
– कार्यक्रम की शुरुआत गांधीजी के प्रिय भजन रघुपति राघव राजाराम कि साथ की जाए।
– इसके बाद कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोग एक मिनट का मौन धारण करें फिर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की जाए।