दिग्विजय सिंह ने कहा कि दुख इस बात का होता है कि गांधी जी की शारीरिक हत्या तो बहुत पहले हो चुकी थी, लेकिन अब उनके विचारों की उनकी आत्मा की हत्या इस कानून को लागू कर की जा रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन कोई रजिस्टर्ड संगठन नहीं है ना ही उसका कोई अकाउंट है और ना ही उसकी कोई मेंबरशिप है।
अगर कोई आतंकवादी घटनाओं पकड़ा जाता है तो यह लोग कहते हैं कि यह हमारा सदस्य नहीं इन्होंने नफरत की राजनीति करके पूरे देश में एक माहौल खड़ा किया है। हम इकट्ठा होकर इस नफरत के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। इस देश में हमेशा इंसानियत की कद्र हुई है। भारतीय संविधान एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जिसमें सभी को समान अधिकार मिला है।
कार्यक्रम में लेखक लज्जा शंकर हरदेनिया ने कहा आरएसएस ना राष्ट्रीय है ना स्वयंसेवक हे और ना संघ है वह तो एक गिरोह है मैंने RSS की हिस्ट्री और गोलवलकर के विचार के आधार पर यह किताब लिखी है संघ संविधान में नहीं मनु स्मृति में विश्वास रखता है मनुस्मृति धर्म और वर्ग के आधार पर बैठी हुई है साथ ही महिलाओं को भी उचित स्थान मनुस्मृति में नहीं दिया गया गांधीजी इन के सबसे पढ़े दुश्मन थे और उन्होंने उन्हें गोली मारी बाद में कहते हैं कि हमने गोली नहीं मारी जबकि नाथूराम गोडसे ने यह बात मानी।
वहीं भोपाल से कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि यह किताब लिखकर हमारी कौम पर एहसान किया नफरत के इस दौर में हम सबको मिलकर लड़ने की जरूरत है। नफरत के खिलाफ आप जुलूस नहीं निकाले एक जगह आराम से बैठकर सरकार को पैगाम दे। अगर आप जुलूस निकालेंगे तो भारतीय जनता पार्टी कामयाब हो जाएगी कि पथराव करवाने में पत्थर फेंकने के सवालों पर आक्रोशित मत होइए। कोई जवाब मत दीजिए। आप सिर्फ सवालों पर सवाल कीजिए कि आपने मेक इन इंडिया का क्या किया।