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भोपाल

राम मंदिर ट्रस्ट के निर्माण पर कांग्रेस के पूर्व सीएम को आपत्ति, कहा- भाजपा को फर्जी शंकराचार्यों की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केन्द्र सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा की है।

भोपालFeb 08, 2020 / 08:42 am

Pawan Tiwari

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भोपाल. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केन्द्र सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा की है। ट्रस्ट की घोषणा के साथ ही राजनीति भी शुरू हो गई है। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट और ट्रस्ट में शामिल लोगों को लेकर आपत्ति जताई है। दिग्विजय सिंह से पहले शंकराचार्य स्वारूपानंद सरस्वती ने भी इस ट्रस्ट पर आपत्ति जताई थी।
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क्या कहा दिग्विजय सिंह ने?
ट्रस्ट के गठन के बाद दिग्विजय सिंह ने आपत्ति जाहिर करते हुए कहा- भाजपा को केवल फर्जी शंकराचार्यों की ही आवश्यकता है। उन्हें सनातन धर्म व सनातनी परम्पराओं से कोई लेना देना नहीं हैं। जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंदजी द्वारका व जोशीमठ के सर्वमान्य शंकराचार्य हैं और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी हैं। आज़ादी की लड़ाई में जेल गये थे। राम मंदिर निर्माण के लिये जो शासकीय ट्रस्ट बनाया गया है उसमें एक भी मान्यता प्राप्त शंकराचार्य नहीं हैं और ना ही रामानन्दी सम्प्रदाय के मान्यता प्राप्त संत हैं।

स्थापित रामालय ट्रस्ट, जिसमे सभी मान्यता प्राप्त शंकराचार्य और स्थापित रामानंद सम्प्रदाय के संत हैं, और जिसका गठन राम मंदिर निर्माण के लिये सभी मान्यता प्राप्त सनातन धर्मों के संतों की सहमति से ही किया गया था। उसे मंदिर निर्माण की ज़िम्मेदारी देने में शासन को क्या एतराज है? दिग्विजय सिंह ने कहा- मोदी-शाह सरकार सनातन धर्म की परम्परागत मान्यताओं को भी राजनैतिक स्वार्थ के लिये नष्ट कर रहा है।
क्या कहा शंकराचार्य ने?
इससे पहले शंकाराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में वासुदेवानंद सरस्वती को जगह देने पर आपत्ति जताई है। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा था- ‘सुप्रीम कोर्ट ने अपने चार फैसलों में वासुदेवानंद सरस्वती को न शंकराचार्य माना और न ही संन्यासी माना है। ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य मैं हूं।
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