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भोपाल

अब डीएनए प्रोफाइलिंग से बच नहीं सकेंगे बलात्कारी…

आरोपी और आरोपित के कपड़ों या घटनास्थल पर मौजूद खून, सैलाइवा आदि साक्ष्यों के आधार पर की जाती वैज्ञानिक जांच…

भोपालJul 07, 2018 / 05:58 pm

दिनेश भदौरिया

crime

डीएनए प्रोफाइलिंग

भोपाल. फॉरेसिंक साइंस की डीएनए प्रोफाइलिंग तकनीक को और ज्यादा कारगर बनाया गया है। इससे ज्यादती के आरोपी बच नहीं सकेंगे। इसकी सटीक जांच के लिए यह जरूरी है कि घटनास्थल और वहां मौजूद साक्ष्यों से कोई छेड़छाड़ न की जाए।
इसके साथ ही घटना की रिपोर्ट समय से कर पुलिस को तकनीकी जांच के लिए सैम्पल जल्द उपलब्ध कराए जाएं। इस संबंध में मप्र पुलिस के एडिशनल डायरेक्टर जनरल-टेक्निकल डीसी सागर से पत्रिका के दिनेश भदौरिया ने बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश:
सवाल: सामूहिक ज्यादती या बच्चियों के साथ ज्यादती के मामलों में आरोपी तक पहुंचने में डीएनए प्रोफाइलिंग कितनी कारगर है?
जवाब: महिलाओं के साथ सामूहिक ज्यादती या बच्चियों के साथ ज्यादती के मामलों में यह प्रक्रिया बहुत अधिक कारगर है। इसमें आरोपी व फरियादी के कपड़ों या घटनास्थल पर मिला खून, सलाइवा आदि पदार्थों का वैज्ञानिक विधि से मिलान किया जाता है, जिससे घटनास्थल पर आरोपी की मौजूदगी साबित होती है।
सवाल: ज्यादती के प्रत्येक मामले की डीएनए प्रोफाइलिंग की जाती है?
जवाब: जबलपुर हाईकोर्ट के राजा बर्मन उर्फ राहु बनाम स्टेट ऑफ एमपी (2016) मामले में महिलाओं से सामूहिक ज्यादती, बच्चियों से ज्यादती, ज्यादती के बाद हत्या, हत्या का प्रयास, अजनबी के साथ ज्यादती, पितृत्व साबित करने समेत आधा दर्जन से अधिक मामलों में डीएनए जांच के निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों को डीजीपी ने मध्यप्रदेश में लागू करवा दिया है। घटना की सत्यता को परखने या नाजमद आरोपी की याचना पर डीएनए जांच की जा सकती है।
सवाल: मप्र पुलिस की तकनीकी शाखा और किस तरह की जांच करती है?
जवाब: डीएनए जांच के सिवा अस्त्र-शस्त्र की जांच, बिसरा जांच, नारकोटिक्स जांच, विवादास्पद पत्र आदि जांचें इस शाखा द्वारा की जाती हैं। गोली लगने से होने वाली मृत्यु के लिए बैलिस्टिक जांच की जाती है। इसमें गोली किस प्रकार के असलहे से चली, कितनी दूर और किस दिशा से चली, गोली किस बोर की है इत्यादि कई बिंदुओं को परखना पड़ता है। हम वॉयस एनालिसिस भी करते हैं।
सवाल: डीएनए जांच में सबसे अधिक परेशान कहां आती है?

जवाब: डीएनए जांच के बारे में लोगों में अभी पर्याप्त जागरुकता नहीं है। घटनास्थल से कोई छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। फरियादी या आरोपी के कपड़े नहीं धोने चाहिए। वैज्ञानिक जांच व सैम्पल लेने तक घटनास्थल, वहां पड़ी चीजों व पदार्थों से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।
सवाल: घटनास्थल पर भीड़ जुटने से क्या परेशानी आ सकती है?
जवाब: अकसर घटनास्थल पर जुटी भीड़ से कई साक्ष्य अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं, जिससे सटीक जांच में बहुत परेशानी होती है। यदि ज्यादती के मामले में साक्ष्य बिना छेड़छाड़ के और जितनी जल्दी मिलेंगे, उतनी जल्दी ही जांच होगी।
सवाल: जांच में देरी होने के प्रमुख कारण क्या मानते हैं और इस समय प्रतिदिन कितने मामले आ रहे हैं?
जवाब: जरूरत का आधा स्टाफ होने पर भी हम तेजी से जांच करते हैं। वैकेंसीज पूरी करने के लिए प्रक्रिया चल रही है। सही समय पर सैम्पल मिलने पर डीएनए जांच दो दिन में करके दे रहे हैं।

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