जवाब: महिलाओं के साथ सामूहिक ज्यादती या बच्चियों के साथ ज्यादती के मामलों में यह प्रक्रिया बहुत अधिक कारगर है। इसमें आरोपी व फरियादी के कपड़ों या घटनास्थल पर मिला खून, सलाइवा आदि पदार्थों का वैज्ञानिक विधि से मिलान किया जाता है, जिससे घटनास्थल पर आरोपी की मौजूदगी साबित होती है।
जवाब: जबलपुर हाईकोर्ट के राजा बर्मन उर्फ राहु बनाम स्टेट ऑफ एमपी (2016) मामले में महिलाओं से सामूहिक ज्यादती, बच्चियों से ज्यादती, ज्यादती के बाद हत्या, हत्या का प्रयास, अजनबी के साथ ज्यादती, पितृत्व साबित करने समेत आधा दर्जन से अधिक मामलों में डीएनए जांच के निर्देश दिए हैं। इन निर्देशों को डीजीपी ने मध्यप्रदेश में लागू करवा दिया है। घटना की सत्यता को परखने या नाजमद आरोपी की याचना पर डीएनए जांच की जा सकती है।
जवाब: डीएनए जांच के सिवा अस्त्र-शस्त्र की जांच, बिसरा जांच, नारकोटिक्स जांच, विवादास्पद पत्र आदि जांचें इस शाखा द्वारा की जाती हैं। गोली लगने से होने वाली मृत्यु के लिए बैलिस्टिक जांच की जाती है। इसमें गोली किस प्रकार के असलहे से चली, कितनी दूर और किस दिशा से चली, गोली किस बोर की है इत्यादि कई बिंदुओं को परखना पड़ता है। हम वॉयस एनालिसिस भी करते हैं।
जवाब: अकसर घटनास्थल पर जुटी भीड़ से कई साक्ष्य अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं, जिससे सटीक जांच में बहुत परेशानी होती है। यदि ज्यादती के मामले में साक्ष्य बिना छेड़छाड़ के और जितनी जल्दी मिलेंगे, उतनी जल्दी ही जांच होगी।
जवाब: जरूरत का आधा स्टाफ होने पर भी हम तेजी से जांच करते हैं। वैकेंसीज पूरी करने के लिए प्रक्रिया चल रही है। सही समय पर सैम्पल मिलने पर डीएनए जांच दो दिन में करके दे रहे हैं।