इस दौरान शहर के निजी अस्पतालों ( private hospitals ) जहां दिनभर ओपीडी ( OPD ) बंद रही, वहीं हमीदिया अस्पताल ( hamidia hospital ) में जूडा ने तीन घंटे तक काम नहीं किया। इस हड़ताल का असर यह रहा कि हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल ( Sultania hospital ) में मरीजों को इलाज के लिए परेशान होना पड़ा। यही नहीं जूनियर डॉक्टर के नहीं होने दोनों अस्पतालों में छोटे बड़े 23 से ज्यादा ऑपरेशन टल गए।
मालूम हो कि दोनों अस्पतालों में हर रोज 45 से 50 ऑपरेशन किए जाते हैं। हालांकि सरकारी और निजी अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं चालू रहीं। शहर में 250 से ज्यादा प्राइवेट नर्सिग होम और एक हजार क्लीनिक हैं, जिनमें हर रोज आठ से दस हजार मरीज पहुंचते हैं।
मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ( indian medical association ) के पूर्व सचिव डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि यह बिल लागू हो गया तो इससे स्वास्थ्य क्षेत्र ( health services ) में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इस आयोग में तीन लोगों की एक कमिटी होगी जो कॉलेजों को अप्रूवल देगी और कमिटी में ये तीनों लोग भी नॉमिनेटेड होंगे। जबकि एमसीआई में 130 लोगों में से 80 लोग चुनकर आते थे।
ओपीडी में लगी रही मरीजों की लंबी कतार
हड़ताल के दौरान नर्सिंग होम ( nursing home ) में ओपीडी सेवाएं पूरी तरह से बंद रहीं। इसके चलते सारे मरीज सरकारी अस्पताल चले गए जिससे यहां दिक्कतें बढ़ गईं। हमीदिया अस्पताल में जूडा के नहीं होने से कंसलटेंट ने मोर्चा संभाल लिया लेकिन इसके बावजूद ओपीडी में मरीज की लंबी कतारें लगीं रही। जूनियर डॉक्टर के नहीं होने से रुटीन ऑपरेशन को भी टाला गया।
पांच से सौ करोड़ तक लगेगा जुर्माना
डॉ. गुप्ता के मुताबिक बिल में जो प्रावधान जोड़ा गया है उसके मुताबिक निजी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों ( medical colleges ) में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पर पांच से लेकर 100 करोड़ तक जुर्माना होगा। सवाल यह है कि जुर्माने में इतना बड़ा अंतर क्यों है? इससे मेंबर अपने चाहने वाले को कम और दूसरे को ज्यादा जुर्माना कर सकते हैं। यही नहीं एनएमसी बिल के अनुसार एमबीबीएस की डिग्री वाले डॉक्टरों को अपनी काबिलियत एक बार और साबित करनी होगी। उन्हें एक और एग्जाम देना होगा जिसमें पास होने पर ही वो प्रेक्टिस कर पाएंगे।
निजी मेडिकल कॉलेज नहीं कर रहे विरोध
इंडियन मेडिकल काउंसिल बिल 2017 को लेकर डॉक्टरों का खेमा दो भागों में बंट गया है। एक हो बिन में संशोधन कराना चाहता है। वहीं निजी मेडिकल कॉलेज इस बिल के पक्ष में हैं। दरअसल अब तक निजी मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी सीटों की फ ीस मैनेजमेंट तय करती थी। अब नए बिल के मुताबिक मैनेजमेंट कोटा 60 फीसदी सीटों का होगा।
आयुष डॉक्टर भी करेंगे इलाज
इस बिल में आयुष चिकित्सकों को ब्रिज कोर्स करवाकर इंडियन मेडिकल रजिस्टर में शामिल करने का प्रावधान है जो एमबीबीएस के लगभग बराबर होगा। डॉक्टरों का कहना है कि 10 साल पढ़ाई और हजारों मरीजों को देखने के बाद हम डॉक्टर बने हैं। वहीं आयुष डॉक्टर्स छह माह के ब्रिज कोर्स में कैसे ऐलापैथी इलाज सीख जाएंगे।