सोमवार शाम की पारी में करीब 5.30 बजे पत्रिका संवाददाता ने कोलार सामुदायिक केन्द्र, अकबरपुर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। परिसर सूना सा पड़ा था। एक-दो लोग चलते-फिरते नजर आ रहे थे। परिसर के दोनों गेट से लेकर अंदर रिसेप्शन तक कोई सिक्योरिटी गार्ड नहीं दिखाई दिया।
किसी के आने-जाने पर कोई रोकटोक या पूछताछ करने वाला कोई नहीं था। थोड़ी देर बाद करीब 5.45 बजे पत्रिका संवाददाता रिसेप्शन पर पहुंचा और वहां तैनात कर्मचारी से कहा कि कुत्ते काटे का इंजेक्शन लगवाना है। कर्मचारी ने पांच रुपए फीस लेकर एक पर्ची बनवा दी, लेकिन साथ ही यह भी बताया कि इंजेक्शन कल ही लग पाएगा।
कर्मचारी ने बताया कि डॉ. आभा शुक्ला शाम की ड्यूटी पर थीं, लेकिन वे कुछ देर पहले ही जा चुकी हैं। संवाददाता ने पर्ची जेब में रखी और डॉ. आभा शुक्ला के रूम तक गया तो वह खाली पड़ा मिला। इसके पास ही बना इमरजेंसी डॉक्टर का ड्यूटी कक्ष भी खाली पड़ा था। एक-दो सफाई कर्मचारी जरूर घूमते दिखे।
मरीजों ने बताई परेशानी
संवाददाता परिसर से बाहर आया तो एक दंपति सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से बाहर जा रहे थे। उनसे बातचीत की तो पता चला कि उनकी बेटी यहां एडमिट है। उसे सोमवार सुबह करीब नौ बजे बेटा पैदा हुआ है। सलैया गांव निवासी रामू और उसकी पत्नी गीता मूलत: देवास जिले के निवासी हैं। यह पूछने पर कि कोई परेशानी तो नहीं, रामू तो बताते हुए डर रहा था, लेकिन गीता ने बात बता दी। गीता ने बताया कि उसकी बेटी की डिलेवरी से लेकर सभी देखभाल नर्स ही करती हैं। कोई डॉक्टर नहीं आया। डिलीवरी के बाद उसकी बेटी को तो उन्हें सौंप दिया, लेकिन अस्पताल के सफाईकर्मी बच्चा नहीं दे रहे थे। आखिर पांच सौ रुपए लेने के बाद ही सफाईकर्मियों ने बच्चा उसे सौंपा।
शाम को डॉक्टर आठ बजे तक ड्यूटी पर रहते हैं और इमरजेंसी डॉक्टर तो चौबीस घंटे ड्यूटी पर रहते हैं। आज मैं लीव पर हूं, पैसे लेने की शिकायत कल लिखित में मेरे पास भेजवाइए, मैं जांच करूंगा।
-डॉ. अरविंद टंडन, चिकित्सा अधीक्षक, सीएचसी-कोलार