दरअसल, सीएम हाउस की तरफ बढ़ने की कोशिश कर रहे डॉक्टरों के साथ पुलिस की हाथापाई शुरू हो गई। इसी बीच किसी पुलिस अधिकारी ने कह दिया कि डंडा मारो। इस पर बात बिगड़ गई। बाद में आंदोलन कर रहे डॉक्टरों को समझाने के लिए कलेक्टर तरुण पिथौड़े और डीआईजी इरशाद वली भी पहुंच गए। इन्होंने डॉक्टर्स से कहा कि वे विभाग के प्रमुख सचिव से मिल लें, लेकिन डॉक्टरों ने इनकार कर दिया। डॉक्टरों ने कहा कि पीएस सब जानते हैं तो उनसे क्यों मिले। अगर पीएस को मिलना है तो खुद यहां आ जाएं।
ये हैं दिलचस्प बातें
विवाद और आंदोलन के बीच डॉक्टरों और पुलिस अधिकारियों के बीच हल्के फुल्के संवाद भी हुए। डॉक्टरों ने पुलिस से कहा कि आप लोग हमारी हालत देख रहे हैं, अपने बच्चों को डॉक्टर मत बनाना। टीआई ने कहा कि बच्चों को पुलिस भी ना बनाएं, हमारी हालात भी आपलोगों जैसी ही है।
सीएम ने की फोन पर बात
मुख्यमंत्री से ना मिल पाने से नाराज डॉक्टर्स ने मंगलवार रात नौ बजे सामूहिक इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। इस पर रात साढ़े आठ बजे मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में विधायक सुनील उइके ने फोन कर डॉक्टरों को मिलने के लिए बुलाया। दो डॉक्टर्स को मिलने के लिए बुलाया। दो डॉक्टर्स विधायक के बंगले पर पहुंचे जहां उन्होंने मुख्यमंत्री से फोन पर बात की। मध्यप्रदेश मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ राकेश मालवीय ने बताया कि सीएम ने कहा है कि व्यस्तता के चलते वे अभी नहीं मिल पाए, लेकिन पांच दिन में डॉक्टर्स से जरूर मिलेंगे।
मुख्यमंत्री से ना मिल पाने से नाराज डॉक्टर्स ने मंगलवार रात नौ बजे सामूहिक इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। इस पर रात साढ़े आठ बजे मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में विधायक सुनील उइके ने फोन कर डॉक्टरों को मिलने के लिए बुलाया। दो डॉक्टर्स को मिलने के लिए बुलाया। दो डॉक्टर्स विधायक के बंगले पर पहुंचे जहां उन्होंने मुख्यमंत्री से फोन पर बात की। मध्यप्रदेश मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ राकेश मालवीय ने बताया कि सीएम ने कहा है कि व्यस्तता के चलते वे अभी नहीं मिल पाए, लेकिन पांच दिन में डॉक्टर्स से जरूर मिलेंगे।