डॉक्टरों ने कहा कि अस्पताल की हालात दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। इसलिए इस्तीफ देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। एक महीने के भीतर यदि सरकार मांगों पर विचार नहीं करती तो अस्पताल को अलविदा कह दिया जाएगा।
हो रहा था जूनियर होने का डर
जानकारी के मुताबिक इन डॉक्टरों में लंबी सेवाओं के बावजूद जूनियर ही रहने का भय था। दरअसल इन दिनों अस्पताल में प्रोफेसर सहित अन्य पदों पर भर्तियां चल रही हैं। इस्तीफा देने वाले सभी एसोसिएट प्रोफेसर हैं और उनका दूसरा प्रमोशन लंबित है। इन डॉक्टरों का कहना है कि प्रोफेसर के पद के लिए पहले हमारा प्रमोशन करें फिर नए प्रोफेसरों की नियुक्ति की जाए, ताकि उनकी वरिष्ठता बनी रहे।
आपस में ही हुआ विवाद
बताया जा रहा है कि सामूहिक इस्तीफे के पहले इन डॉक्टरों में ही खासा विवाद हुआ था। जानकारी के अनुसार ने एसोसिएशन के अधिकारियों ने इस्तीफे के पत्र पर सभी सदस्यों को नाम लिख दिए थे। हालांकि कुछ डॉक्टर इस्तीफा देने को तैयार नहीं हुए, जिससे सभी सदस्यों में विवाद हो गयाा। अंत में 12 डॉक्टरों ने ही सामूहिक इस्तीफे पर दस्तखत किए।
पहले भी हुए थे 15 डॉक्टरों के इस्तीफे
इससे पहले पूर्व डायरेक्टर डॉ. मनोज पांडे को हटाने के बाद भर्ती नियम और प्रमोशन पॉलिसी लागू नहीं होने से नाराज 15 कंसल्टेंट डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया था। हालांकि उनकी बात मानते हुए विभाग ने सभी डॉक्टरों को प्रमोशन दिया था।