बता दें कि भोपाल में पुरानी जेल के सामने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा की सात मंजिला इमारत बनाई गई है। यह मौसम केंद्र की डॉप्लर बिल्डिंग से 12 मीटर ऊंची है, जो डॉप्लर रडार के मार्ग में बाधक है। इस बिल्डिंग के कारण प्रदेश के पश्चिम से दक्षिण-पश्चिम हिस्से में बेहतर क्वालिटी की डॉप्लर इमेज मिलना बंद हो गई हैं। इसका सबसे अधिक असर इंदौर संभाग पर पड़ेगा है। संभाग के लगभग सभी जिलों को मौसम की सटीक जानकारी नहीं मिल पाएगी। डॉप्लर रडार से उज्जैन के दक्षिणी हिस्से से हरदा तक के क्षेत्र के सही डाटा मिलना बंद हो गए हैं।
250 किमी रेडियस के पूर्वानुमान में सक्षम है डॉप्लर रडार
मौसम विभाग के अनुसार वेदर डॉप्लर रडार 250 किमी रेडियस क्षेत्र के मौसम का पूर्वानुमान बताने में सक्षम है। रडार को तीन कोण पर सेट कर लोअर, मिडिल और अपर लेवल के मौसम की गणना की जाती है। आरइएस की बिल्डिंग के कारण इंदौर संभाग की तरफ लोअर लेवल के सही आंकड़े नहीं मिलते।
इंदौर में 4 जून 2018 को ‘प्रणाम इंदौर’ कार्यक्रम में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन की मौजूदगी में पंडाल गिर गया था। मौसम विभाग आंधी-बारिश का सटीक अनुमान नहीं लगा पाया था। विभाग को सैटेलाइट इमेज का सहारा लेना पड़ा था जो कि सही नही थीं।
आरईएस विभाग की बिल्डिंग डॉप्लर रडार के लिए हमेशा समस्या रहेगी। हमें वैकल्पिक रूप में सैटेलाइट इमेज का सहारा लेना होगा। इंदौर संभाग के लगभग सभी जिले इससे प्रभावित रहेंगे।
वेद प्रकाश, वैज्ञानिक, मौसम विज्ञान केंद्र एवं डॉप्लर रडार प्रभारी
30 मीटर ऊंचाई डॉप्लर रडार की बिल्डिंग के सरफेस से
34 मीटर ऊंचाई है आरईएस बिल्डिंग की
08 मीटर का अंतर है मौसम केंद्र व आरईएस भवन के सरफेस में
12 मीटर का अंतर है
दोनों इमारतों की ऊंचाई में
250 किमी है डॉप्लर का कवर क्षेत्र