scriptआवारा गोवंश का होगा नस्ल सुधार | Dr Anand Kushwah succeeded embryo implant in cow | Patrika News
भोपाल

आवारा गोवंश का होगा नस्ल सुधार

इंटरव्यू— डॉ. आनंद कुशवाह, मैनेजर, ईटीटीएल-बुल मदर फार्म

भोपालJan 24, 2019 / 11:13 am

दिनेश भदौरिया

news

आवारा गोवंश का होगा नस्ल सुधार

भोपाल. देशी गायों के अधिक उपयोगी न होने के कारण उन्हें पशुपालक सड़कों पर छोड़ देते हैं। शहर और गांव दोनों की क्षेत्रों में देशी गोवंश की देखरेख करने में लोग दिलचस्पी नहीं रखते। उन्हें ऐसा लगता है कि जितना दाना-चार देशी गोवंश को खिलाएंगे, उतना लाभ उनसे नहीं मिलेगा। यही खास कारण है कि उन्हें सड़कों पर खुला छोड़ दिया जाता है। स्टेट डेयरी फार्म के डॉ. आनंद सिंह कुशवाह ने भू्रण प्रत्यारोपण के माध्यम से गायों के नस्ल सुधार में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। यदि पशुपालक इस तकनीक का लाभ लें तो आवारा गायों की नस्ल बहुपयोगी साबित हो सकती है।
सवाल: देशी गोवंश का नस्ल सुधार क्यों नहीं हो पा रहा है? अधिक तापमान में कौन सी नस्ल सर्वाइव कर सकती है?
जवाब: प्रदेश की मालवी व निमाड़ी नस्लों को बचाने के लिए काम किया जा रहा है, जिससे 2-3 लीटर दूध वाली गायों से 6-7 लीटर दूध मिलने लगा है। इस नस्ल के बैल 50 डिग्री तापमान पर भी काम करते हैं। साहीवाल और थारपरकर नस्ल के गोवंश भी अधिक तापमान में सर्वाइव करते हैं।
सवाल: ईटीटी लैब में अब तक कितने भ्रूण प्रत्यारोपण में क्या परेशानियां आ रही हैं, अब तक कितने प्रत्यारोपण किए जा चुके हैं?
जवाब: बुल मदर फार्म पर (एम्ब्रियो ट्रांसप्लांट) भ्रूण प्रत्यारोपण का कार्य वर्ष 2014 से किया जा रहा है। उपलब्ध संसाधनों में अच्छे से अच्छा कार्य किया जा रहा है। यहां गिर व साहीवाल जैसी उन्नत नस्ल के सफल भू्रण प्रत्यारोपण कर 107 से अधिक गोवत्स प्राप्त किए जा चुके हैं।
सवाल: गोवंश में भू्रण प्रत्यारोपण की प्रक्रिया कितनी जटिल है, इससे किसान को कितना लाभ है?
जवाब: उन्नत नस्ल के सांड के वीर्य को गाय में सात दिनों तक डालकर रखा जाता है। सात दिनों बाद भू्रण को मदर गाय से निकालकर नॉन-प्रोडक्टिव गाय में प्रत्यारोपित करते हैं। इससे अधिक दुग्धवाला उन्नत गोवत्स मिलता है और गाय से एक वर्ष में एक के स्थान पर 12-15 गोवत्स प्राप्त हो जाते हैं।
सवाल: पशुपालक विदेशी नस्ल की गायों की तुलना में भारतीय नस्ल के गोवंश को कमतर आंकते हैं?
जवाब: कुछ किसानों को भ्रांतियां हो सकती है, लेकिन गिर व साहीवाल जैसी भारतीय नस्ल की गायों की विश्व में बड़ी डिमांड हैं। ब्राजील में साउथ इंडियन ओंगुल नस्ल की शंकर गाय को वहां बीफ के लिए डवलप किया है।वहां गिर नस्ल की गायें 60 से 80 लीटर तक दूध दे रहीं हैं।
सवाल: भू्रण प्रत्यारोपण तकनीक से किसानों को लाभ मिल पा रहा है?
जवाब: नस्ल सुधार से किसान को बहुत लाभ है। एक प्रत्यारोपण में दस हजार रुपए का खर्च आता है और दो-ढाई लाख कीमत वाली नस्ल की गाय मिल जाती है। किसानों को इस तकनीक का लाभ देने केन्द्र सरकार की नि:शुल्क भू्रण प्रत्यारोपण योजना आई थी।
सवाल: नस्ल सुधार के क्षेत्र में इस समय सबसे क्रांतिकारी तकनीक कौन सी है?
जवाब: एम्ब्रियो ट्रांसप्लांट से ज्यादा उन्नत इनविट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक है। इस तकनीक के जरिए गाय के अंडे व सांड का वीर्य लेकर लैब में ही भू्रण डवलप किया जाता है। इससे एक वर्ष में 50 तक गोवत्स प्राप्त होंगे।

Home / Bhopal / आवारा गोवंश का होगा नस्ल सुधार

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो