जबलपुर में तैनात अंग्रेजों की 52वीं रेजीमेंट का कमांडर लो क्लार्क काफी अत्याचारी और व्याभिचारी था। उसने छोटे-छोटे राजाओं और वहां कि जनता को परेशान कर रखा था। वहीं राजा शंकर शाह ने जनता और जमींदारों से मिलकर युद्ध का ऐलान कर दिया था। पिता के इस साहसिक निर्णय में उनके बेटे रघुनाथ शाह ने भी पूरा साथ दिया। लेकिन कायर अंग्रेज ने साधू का वेश रखकर खूफिया तरीके से सारी जानकारी जुटाकर दोनों पिता पुत्रों को तोप के मुंह में बांधकर उड़ा दिया।
शंकर शाह गोंडवाना के राजा थे, जिन्हें अंग्रेजों ने उनके पुत्र सहित 18 सितंबर 1858 को क्रांति भड़काने के अपराध में तोप के मुंह से बांधकर उड़ा दिया था। उनके पुत्र का नाम रघुनाथ शाह था। जब 1857 में विद्रोह की ज्वाला पूरे भारत में धधक रही थी। तब उन्होंने अपनी मातृभूमि को अंग्रेजों से छुड़ाने के लिए अपने प्रांतवासियों को युद्ध हेतु आह्वान किया। राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह दोनों पिता-पुत्र जनता और जमीदारों के बीच काफी लोकप्रिय थे।