scriptकोरोना के चलते एलोपैथिक अस्पतालों के ओपीडी में लगाई आयुष डॉक्टरों की ड्यूटी | Duty of Ayush doctors in OPD of allopathic hospitals due to corona | Patrika News
भोपाल

कोरोना के चलते एलोपैथिक अस्पतालों के ओपीडी में लगाई आयुष डॉक्टरों की ड्यूटी

मेडिकल कालेजों में पदस्थ डॉक्टर हुए सीएमएचओ के अधीन

भोपालMar 29, 2020 / 08:31 pm

Ashok gautam

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भोपाल। कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के चलते एलोपैथिक का डिप्लोमा लेने वाले आयुष के डॉक्टरों की ड्यूटी अब एलोपैथक अस्पतालों में लगाई जा रही है। यह डॉक्टर ओपीडी में मरीज देख रहे हैं। वहीं आयुष कालेजों में पदस्थ डिप्लोमाधारी करीब 217 डाक्टरों की भी सेवाएं सीएमएचओ को सौंपी जा रही हंै, जिससे एलोपैथिक अस्पतालों को डॉक्टरों की कमी का सामना न करना पड़े। इसके साथ जिला स्तर में पदस्थ पैरामेडिकल स्टाफ की सूची सीएमएचओ को सौंप दी गई है, वे जरूरत के अनुसार इनकी ड्यूटी एमरजेंसी सेवा में लगा सकेंगे।
प्रदेश में एमबीबीएस डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए आयुष के 7०० डाक्टरों को एलोपैथिक में डिप्लोमा कराया गया था। डिप्लोमा के बाद इन डाक्टरों की पदस्थापना भी ग्रामीण तथा दूर-दराज के एलोपैथिक अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में की गई थी। जिससे गांव के लोगों को बेहतर स्वास्थ सेवा मिल सके। हालांकि इन डॉक्टरों को सामान्य बीमारियों के इलाज करने की ही इजात दी गई थी।
गंभीर बीमारियों और सर्जरी के लिए इन डॉक्टरों को अनुमति नहीं दी गई थी। जैसे-जैसे सरकार एमबीबीएस डॉक्टरों की भर्ती कर अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर करती गई, वैसे-वैसे इन डाक्टरों की एलोपैथिक अस्पतालों से आयुर्वेदिक अस्पतालों में वापस होती गई। लेकिन अब कोरोना वायरस के चलते इनकी सेवाएं फिर से लेना शुरू कर दी गई है।


कोरोना के लिए आयुष ने बनाया कॉल सेंटर
कोरोना बायरस के चलते आयुष विभाग ने प्रदेश स्तर पर कॉल सेंटर बनाया है। इन कॉलसेंटर के माध्यम से प्रदेश के आयुष डाक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और कर्मचारियों के समन्वय तथा स्वास्थ सेवाओं के संबंध में जिला स्तर पर रिपोर्टिंग की जा रही है।
इसके साथ ही सीएमएचओ को जिन जिलों में आयुष के डॉक्टरोंं, पैरामेडिकल तथा अन्य स्टाफ की जरूरत होती है, वहां से उन्हें दूसरे जिलों के आयुर्वेदिक अस्पतालों से भेजने की व्यस्था की जाती है। इसके साथ ही कंट्रोलरूम में सभी जिलों से कोरोना स्क्रीनिंग, जांच तथा क्वारेंटाइन में रखे गए लोगों की हर आठ-आठ घंटे में रिपोर्टिंग की जा रही है।
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