पहली कक्षा में जिन बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश दिया गया है, उन बच्चों का दोहरा सत्यापन किया जाना है। एक समग्र आईडी से दूसरा आधार कार्ड से दोनों से मिलान होने के बाद निजी स्कूल संचालक, सरकारी अधिकारियों को रिपोर्ट भेजेंगे। इसके आधार पर प्रवेशित बच्चों की उपस्थिति, फीस प्रतिपूर्ति आदि के बारे में निर्णय होगा। स्कूल संचालकों को यह भी बताना होगा कि आरटीई में प्रवेश देने वाले बच्चों को आगे की कक्षाआें में भी बैठाया गया है या नहीं इसका भी ऑनलाइन विवरण देना होगा।
गलत जानकारी देने वाले स्कूलों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी। राज्य शिक्षा केंद्र की संचालक आइरिन सिंथिया जेपी ने बताया कि गलतियों से बचने के लिए दोहरे सत्यापन की व्यवस्था की है। पहले समग्र आइडी से सत्यापन होगा, दूसरा आधार नंबर से बायोमेट्रिक या ओटीपी के जरिए सत्यापन किया जाएगा। कितने दिन स्कूल लगाए गए, इनमें आरटीई वाले बच्चे कितने दिन कक्षाओं में उपस्थित रहे इसका विवरण भी देना होगा।
यदि ७५ फीसदी से कम उपस्थिति पाई जाती है तो एेसे स्कूलों पर कार्रवाई की जा सकती है। ७५ फीसदी उपस्थिति होने की स्थिति में ही फीस प्रतिपूर्ति प्रपोजल स्वीकार होगा। हर स्कूल को बच्चों की वास्तविक उपस्थिति ही दर्ज करना होगा। यदि किसी स्कूल ने गलत उपस्थिति दर्ज की और सत्यापन में इसमें गड़बड़ी पाई जाती है तो एेसे स्कूलों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जा सकती है। इसके लिए सभी स्कूलों को अलग से ट्रैनिंग भी दी जाएगी। ताकि किसी तरह की कोई गलतियां न हो।