– एट्रोसिटी एक्ट ने बढ़ाई मुश्किल
एट्रोसिटी एक्ट को लेकर हुए आंदोलनों से सामाजिक बिखराव की स्थिति का सबसे अधिक असर प्रसाद पर ही पड़ा है। लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान भाजपा की ओर से बोलते हुए प्रसाद ने एक्ट की पैरोकारी की थी। इससे एक तबका उनसे नाराज हो गया। सवर्ण व पिछड़े वर्ग के लोगों ने एट्रोसिटी एक्ट के औचित्य पर चर्चा के लिए दतिया में खुला मंच का आयोजन किया था। इसमें पक्ष रखने के लिए प्रसाद को बुलाया गया था, लेकिन वे नहीं पहुंचे। इससे नाराजगी इतनी बढ़ी की लोग प्रदर्शन करने उनके घर तक पहुंच गए।
– दतिया तक सक्रियता
सक्रियता के मामले में प्रसाद क्षेत्र से लेकर संसद तक एक जैसी स्थिति में हैं। सदन में 80 प्रतिशत उपस्थिति जरूर रही है, लेकिन साढ़े चार साल में महज 73 सवाल ही पूछे। हालांकि, 28 डिबेट में हिस्सा लिया, पर क्षेत्रीय मुद्दों की आवाज नहीं बन सके। यही आलम क्षेत्र में भी है। उनका निवास दतिया में है और सक्रियता भी यहीं तक सीमित है। भिंड जिले से दूरी ने उनके लिए मुश्किलें खड़ी की हैं।
– ये उपलब्धियां खाते में
सांसद के खाते में रेलवे ट्रैक के अंडरब्रिज और ओवरब्रिज बनवाने की उपलब्धि खाते में आई है। दतिया में कॉलेज और कोंच रेल लाइन की स्वीकृति तथा चंबल नदी पर अटेर में वृहद पुल के निर्माण की पहल उनके द्वारा की गई। इनमें कुछ कार्यों के लिए सांसद निधि से मदद भी की।
– ये वादे नहीं हो पाए पूरे
रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उद्योग स्थापित करना।
चंबल के बीहड़ों का समतलीकरण ।
भिंड जिले के छात्रों के लिए उच्च तथा टेक्निकल शिक्षा के लिए कॉलेज स्थापित कराने ।
बीहड़ में बागान लगाकर फलों के माध्यम से स्थानीय ग्रामीण को रोजगार देने की बात कही थी।
सांसद द्वारा गोद लिए गए आदर्श ग्राम उनाव एवं बसई की स्थिति बदतर है। बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ।
एट्रोसिटी एक्ट को लेकर हुए आंदोलनों से सामाजिक बिखराव की स्थिति का सबसे अधिक असर प्रसाद पर ही पड़ा है। लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान भाजपा की ओर से बोलते हुए प्रसाद ने एक्ट की पैरोकारी की थी। इससे एक तबका उनसे नाराज हो गया। सवर्ण व पिछड़े वर्ग के लोगों ने एट्रोसिटी एक्ट के औचित्य पर चर्चा के लिए दतिया में खुला मंच का आयोजन किया था। इसमें पक्ष रखने के लिए प्रसाद को बुलाया गया था, लेकिन वे नहीं पहुंचे। इससे नाराजगी इतनी बढ़ी की लोग प्रदर्शन करने उनके घर तक पहुंच गए।
– दतिया तक सक्रियता
सक्रियता के मामले में प्रसाद क्षेत्र से लेकर संसद तक एक जैसी स्थिति में हैं। सदन में 80 प्रतिशत उपस्थिति जरूर रही है, लेकिन साढ़े चार साल में महज 73 सवाल ही पूछे। हालांकि, 28 डिबेट में हिस्सा लिया, पर क्षेत्रीय मुद्दों की आवाज नहीं बन सके। यही आलम क्षेत्र में भी है। उनका निवास दतिया में है और सक्रियता भी यहीं तक सीमित है। भिंड जिले से दूरी ने उनके लिए मुश्किलें खड़ी की हैं।
– ये उपलब्धियां खाते में
सांसद के खाते में रेलवे ट्रैक के अंडरब्रिज और ओवरब्रिज बनवाने की उपलब्धि खाते में आई है। दतिया में कॉलेज और कोंच रेल लाइन की स्वीकृति तथा चंबल नदी पर अटेर में वृहद पुल के निर्माण की पहल उनके द्वारा की गई। इनमें कुछ कार्यों के लिए सांसद निधि से मदद भी की।
– ये वादे नहीं हो पाए पूरे
रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उद्योग स्थापित करना।
चंबल के बीहड़ों का समतलीकरण ।
भिंड जिले के छात्रों के लिए उच्च तथा टेक्निकल शिक्षा के लिए कॉलेज स्थापित कराने ।
बीहड़ में बागान लगाकर फलों के माध्यम से स्थानीय ग्रामीण को रोजगार देने की बात कही थी।
सांसद द्वारा गोद लिए गए आदर्श ग्राम उनाव एवं बसई की स्थिति बदतर है। बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ।
सेवानिवृत्त आइएएस अफसर को जनता ने सांसद, इसलिए चुना था कि वे उनकी समस्याओं का निदान कराएंगे। उनकी मुसीबत में साथ खड़े रहेंगे, लेकिन प्रसाद जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए हैं।
– चौधरी दीपक शर्मा, भिंड
– चौधरी दीपक शर्मा, भिंड
सांसद का जनता से सीधा जुड़ाव ही नहीं रखा। लोग अपनी छोटी-छोटी समस्याओं के लिए संबंधित सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते रहे। उनकी अनदेखी की जाती रही। जनता का विश्वास नहीं जीत पाए।
– कमल किशोर शर्मा, भिंड
– कमल किशोर शर्मा, भिंड
दतिया के लोगों को तो अहसास ही नहीं हुआ कि यहां सांसद हैं। एट्रोसिटी एक्ट के बारे में अपना पक्ष रखने खुला मंच आयोजित किया गया था और सांसद को न्योता दिया गया, लेकिन वह नहीं आए। वे भिंड के सांसद हैं और वहीं रहते हैं।
– मनोज डोगरा, व्यापारी दतिया
– मनोज डोगरा, व्यापारी दतिया
सांसद ने व्यक्तिगत रूप से ज्यादा भ्रमण किए। उनके कार्यकाल में केंद्रीय विद्यालय की बिल्ंिडग स्वीकृत हुई, रेलवे स्टेशन पर सुधार के काम और ओवरब्रिज का निर्माण हुआ। सांसद का जनता से जुड़ाव बना रहा।
– डीआर राहुल, रिटायर्ड जज दतिया
– डीआर राहुल, रिटायर्ड जज दतिया