सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि इस मामले की सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले मंत्री के लिए यह बड़ी राहत की खबर है। इसके बाद उनके चुनाव लड़ने या न लड़ने पर संशय खत्म हो गया है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को चुनाव होने वाले हैं। जबकि रिजल्ट 11 दिसंबर को आएगा।
चुनाव आयोग ने बढ़ा दी थी मुश्किलें
इससे पहले 23 अगस्त 2018 को चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी। इसमें कहा गया था कि आयोग ने मध्यप्रदेश के दतिया से विधायक चुने गए भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा को पेड न्यूज का दोषी मानते हुए अयोग्य करार दिया था। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने आयोग के फैसले को पलटते हुए नरोत्तम मिश्र को राहत दे दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि मिश्रा ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 42 मामलों में प्रकाशन का कोई खर्च उठाया हो। कोर्ट ने तो आयोग के अधिकार क्षेत्र पर ही सवाल उठा दिए थे।
यह है पेड न्यूज मामला
जल संसाधन, संसदीय कार्य एवं जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा 2008 में जब दतिया से विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे। तब पूर्व विधायक राजेन्द्र भारती ने पेड न्यूज की शिकायत चुनाव आयोग में की थी। धारा-10ए के अंतर्गत आयोग के समक्ष यह शिकायत की गई थी। दतिया क्षेत्र के समाचार पत्रों में पेड न्यूज से जुड़े 42 मामले सामने आए थे। पेड न्यूज का हिसाब चुनाव खर्च में नहीं देने पर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी। इसके बाद आयोग ने 23 जून 2017 को नरोत्तम मिश्र को दोषी माना था। आयोग ने उन्हें तीन साल के लिए भी चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके बाद राष्ट्रपति चुनाव में भी नरोत्तम मिश्र अपना वोट नहीं डाल पाए थे।
मंत्री पद पर बना है खतरा
चुनाव आयोग का फैसला आने के बाद से ही राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं जनसंपर्क मंत्री मिश्रा के मंत्री पद पर खतरा मंडरा रहा है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि अब उन्हें मंत्री बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा था कि चुनाव के दौरान मतदाताओं को गुमराह कर चुनाव जीतने वाले मंत्री मिश्रा को मंत्री पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए।