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भोपाल

Assembly Election 2018: यहां फंस गए चुनावी समीकरण! कांग्रेस को मिली सफलता तो भाजपा की बढ़ीं मुश्किलें…

कोई चुनाव मैदान से हटा, तो कोई अब भी ठोक रहा ताल…

भोपालNov 14, 2018 / 02:20 pm

दीपेश तिवारी

bagi candidate in MP

Assembly Election 2018: यहां फंसे चुनावी समीकरण, कांग्रेस को मिली सफलता तो भाजपा की बढ़ीं मुश्किलें!

भोपाल। मध्य प्रदेश के चुनाव के चंद दिन बचे हैं। ऐसे में दोनों प्रमुख पार्टियां लगातार डैमेज कंट्रोल की कोशिशों में जुटी हुईं हैं। दरअसल चुनावी मैदान में बागियों के उतरने से भाजपा और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं, इसके चलते इनका चुनावी समीकरण बिगड़ने लगा है।

सूत्रों की मानें तो डैमेज कण्ट्रोल में जुटी कांग्रेस को कुछ हद तक सफलता मिली है, वहीं कई बड़े नेताओं को मनाने में भाजपा नाकाम रही है। प्रत्याशियों के पास नाम वापसी के लिए बुधवार को दोपहर 3 बजे तक का समय था। इसके बाद अब किसी भी उम्मीदवार का नामांकन वापस नहीं होगा।

 

ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस की ओर से बागी नेताओं को मनाने की पूरी कोशिश की गई। पर इसमें ज्यादा सफलता कांग्रेस के ही हाथ लगी। कुल मिलाकर नाम वापसी के लिए दोनों ही पार्टियों के बड़े नेताओं ने मोर्चा संभाला और नाराज नेताओं से बात की है।

एक ओर जहां भाजपा के राघवजी ने जरूर शमशाबाद विदिशा से अपना टिकट वापस ले लिया। वहीं बागी हुए भोपाल की हुजूर सीट से जितेंद्र डागा जमे हुए हैं, जबकि बैरसिया से पूर्व विधायक ब्रहृमानंद रत्नाकर ने भी वापस नहीं लिया है। इसे अलावा ग्वालियर की पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने भाजपा से इस्तीफा देते हुए चुनाव में बैठने से इनकार कर दिया है।


वहीं कांग्रेस से इंदौर में दीपक बावरिया ने प्रीती गोलू अग्निहोत्री से बातचीत की जिसके बाद कांग्रेस को राहत मिली है। प्रीती ने अपना फार्म वापस लेने को तैयार है। सामने आ रही जानकारी के अनुसार कांग्रेस ने अधिकतर नाराज नेताओं को मना लिया है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मंगलवार को करीब छह घंटे तक पीसीसी से ही रूठों को मनाने के लिए फोन पर बात करते रहे।

कमलनाथ ने सेवढ़ा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे दामोदर सिंह यादव से बात की, बताया जाता है उन्हें बैठने के लिए तैयार कर लिया है। इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी श्योपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक ब्रजराज सिंह चौहान से चर्चा की।

वहीं बताया जाता है कि चौहान कांग्रेस प्रत्याशी बाबू जंदेल के पक्ष में नाम वापस को लेकर तैयार हो गए हैंं। प्रद्युम्न लोधी को बड़ामलहरा से टिकट दिया गया है, यहां भी बागी तिलक लोधी से नामांकन वापस लेने को कहा गया है।
कांग्रेस में ज्यादातर माने…
भोपाल उत्तर से आरिफ अकील के खिलाफ मैदान में खड़े निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद सउद ने नामांकन वापस ले लिया है। दिग्विजय ने इनसे चर्चा के बाद कहा है कि ज्यादातर रूठों को मना लिया है।
इसके अलावा भोपाल में कांग्रेस के सैय्यद साजिद अली को मनाने में सफलता मिली है, जो कि अपनी ही पार्टी के भोपाल मध्य सीट से चयनित उम्मीदवार आरिफ मसूद के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी में थे। सेंवढ़ा में कांग्रेस नेता दामोदर यादव ने दतिया और सेंवढ़ा दोनों विस सीट से नामांकन दाखिल कर दिया था।
दो दिन पहले कमलनाथ ने यादव को तलब किया था। माना जा रहा है कि वे भी नामांकन वापस ले सकते हैं। वहीं उज्जैन उत्तर से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रही पार्षद माया त्रिवेदी और उज्जैन दक्षिण से जयसिंह दरबार ने अपना नामांकन लेने से इनकार कर दिया है।
जबकि श्योपुर में बगावत कर रहे कांग्रेस जिलाध्यक्ष बृजराज सिंह और उपाध्यक्ष रामलखन हिरनीखेड़ा वरिष्ठ नेताओं से की बात मान ली है।

भाजपा के ज्यादातर बागी मानने को तैयार नहीं…
वहीं दूसरी ओर भाजपा से बागी हुए नेताओं को मनाने में पार्टी को पसीना छूट रहा हैं। भोपाल चार दिन से बागियों व असंतुष्टों को मनाने में जुटी भाजपा ने अब कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है।
चर्चा है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे व कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में उतरे सरताज सिंह के कांग्रेस में शामिल होने के बाद निर्दलीय मैदान में डटे पूर्व मंत्री केएल अग्रवाल, भाजपा के पांच बार के सांसद-दो बार के विधायक, केंद्रीय व प्रदेश में मंत्री रहे रामकृष्ण कुसमरिया को पार्टी से बाहर निकाला जाएगा। मौजूदा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह, धीरज पटेरिया समेत बाकी बागी भी निशाने पर हैं।
वहीं पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया के दमोह और पथरिया विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने के बाद भाजपा को दोनों सीटों पर हार का खतरा बढ़ गया है।
कुसमारिया को मनाने के लिए प्रदेश भाजपा ने अभी तक जितनी भी कोशिशें की हैं, वे सभी नाकाम रही हैं। उन्हें मनाने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा दमोह पहुंचे, लेकिन कुसमारिया उनसे भी नहीं मिले।
वहीं ग्वालियर दक्षिण से मैदान में पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है और चुनाव लड़ने को तैयार है। उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है और चुनाव में डटी हुई हैं।
ग्वालियर दक्षिण से निर्दलीय पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता ने पार्टी से इस्तीफा देकर आरोप लगाया है कि भाजपा में काम करने वालों की नहीं, गुलामों की जरूरत है।

वहीं भाजपा से बगावत कर सपाक्स पार्टी से विदिशा की शमशाबाद सीट से चुनाव में उतरे पूर्व मंत्री राघवजी ने देर रात स्वीकार किया कि उनसे दिल्ली और भोपाल के पार्टी नेताओं से बात हुई है और राघवजी मान गए।
इससे पहले भोपाल में मंगलवार को दिन भर बागियों को मनाने की कवायद चलती रही। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर, प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे और प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने बागियों से फ़ोन पर चर्चा की।
तोमर ने फ़ोन पर केएल अग्रवाल से बातचीत की है, लेकिन वह बमोरी से पर्चा वापस लेने को तैयार नहीं हुए। इसके अलावा दो दर्जन से अधिक सीटों पर बागी नेता बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ मैदान में हैं जिन्हें मनाने की कोशिश की गई, लेकिन कम ही नेता माने हैं।
इन्हें मिला इनाम…
वहीं गरोठ के विधायक चंदर सिंह सिसोदिया का टिकट इस बार काट दिया गया था, उन्होंने बगावती तेवर अपना लिए थे। अब उन्हें मंदसौर का कार्यकारी जिलाध्यक्ष बनाया गया है। गरोठ से जिलाध्यक्ष देवीलाल धाकड़ भाजपा प्रत्याशी हैं।
इधर छतरपुर की राजनगर सीट से पूर्व सांसद जितेंद्र सिंह बुंदेला टिकट मांग रहे थे, परंतु वहां से अरविंद पटेरिया को प्रत्याशी बनाया गया। इससे नाराज बुंदेला ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन नामांकन नहीं भरा। उन्हें संतुष्ट करने के लिए छतरपुर के कार्यकारी जिलाध्यक्ष के पद से नवाजा गया है।
ये होगा असर!…
जानकारों की माने तो भाजपा को असंतुष्ट बागियों के कारण अपना समीकरण बिगड़ता दिख रहा है। जिनके डैमेज से निपटने के लिए भाजपा की ओर से अब कोशिशें शुरू की जा चुकी हैं।
राजनीति के जानकार डीके शर्मा के अनुसार भाजपा से पहले ही सवर्ण नाराज बने हुए है, ऐसे में बागियों के तेवरों को देखकर भाजपा का पसीना छूटता दिख रहा है। उनका कहना है कि भाजपा को बागी तो काफी नुकसान पहुंचाएंगे ही, लेकिन भितरघात की समस्या से भी भाजपा का जुझना पड़ रहा है।
शर्मा के अनुसार भाजपा के अंदर से बीच बीच में आ रहे स्वर ये साफ बताते हैं कि कुछ ऐसे नेता भी यहां मौजूद हैं जो सामने तो पार्टी के आदेश को मान गए हैं, लेकिन यह आदेश पूरी तरह से उनके गले के नीचे नहीं उतर पाया है, यानि ये लोग चुनाव के दौरान भितरघात कर सकते हैं, ऐसी स्थिति में भाजपा के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है।

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