इनके निर्देशानुसार इनकम टैक्स विभाग के सभी अधिकारी-कर्मचारी हर सोमवार को खादी के पकड़े पहनकर कार्यालय पहुंचेंगे। इसकी शुरुआत एक नवम्बर से की गई है। इसके निर्देश 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर दिए गए थे। दास के अनुसार इसका मुख्य उद्ेश्य खादी को बढ़ावा देने, लोगों को खादी के प्रति आकर्षित करने के साथ ही स्वदेशी वस्त्रों को अपनाना है।
29 साल पहले बनाई गई थी यहां बाउंड्रीवॉल
खादी हमारे मन के विकार को पवित्र करती है। यह गरीबों के लिए बहुत बड़ा सहारा है। यह देश की खुशहाली के लिए बहुत बड़ा साधन है, क्योंकि इससे गरीबों मजदूरों और कारीगरों को दो जून की रोटी जुटाने में मदद मिलती है, इसलिए खादी अत्यंत महत्वपूर्ण उपयोगी वस्त्र है।
देश की आजादी के आंदोलन के समय खादी ने राष्ट्रीय आंदोलन कर्ताओं को एक सूत्र मेें बंधने का काम किया था, जिससे बड़ी सहजता से देश की आजादी हम सब को प्राप्त हुई। अब हम सब का कर्तव्य है कि इस तरीके के विचार को बनाए रखें, जिससे देश से विषमता मिटे और समता मूलक समाज की संरचना हो। देश में आजादी के बाद शासकीय स्तर पर और समाज में खादी का बहुत चलन था, जो धीरे-धीरे समाप्त हो गया। इससे देश में मजदूर और कारीगर बेरोजगार हो रहे हैं।
ऐसे में यदि कोई प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत खादी की अनिवार्यता निरूपित करता है तो वह देश के लिए कल्याणकारी और शुभ कार्य है। ऐसे आदेशों और अधिकारियों को हम धन्यवाद देते हैं। मध्य प्रदेश की राज्यपाल महोदया ने दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर हिन्दी भवन में अपने वक्तव्य में खादी पर विशेष जोर देते हुए कहा था कि हम सबको ज्यादा से ज्यादा खादी का उपयोग करना चाहिए। दयाराम, सचिव गांधी भवन न्यास भोपाल
सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को सप्ताह में एक दिन खादी के कपड़े पहनकर कार्यालय आने के लिए कहा गया है। कार्यालय आने वाले सीए से भी अपेक्षा की जाती है कि वह भी सोमवार के दिन खादी कपड़ा पहनकर आएं तो अच्छा होगा।
पीके दास, प्रधान मुख्य कर आयुक्त (मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़) आयकर विभाग