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भोपाल

MP के बैंकों में खेल, जमा हो गए 3.32 लाख के नकली नोट, ऐसे चला पता

खुलासा हुआ तो हरकत में आई पुलिस

भोपालMar 06, 2022 / 01:12 am

govind agnihotri

fake currency deposited in bank

MP के बैंकों में खेल, जमा हो गए 3.32 लाख के नकली नोट, ऐसे चला पता

भोपाल. कितना झटका लगेगा, जब आपको पता चले कि बैंक से जो नोट आपने निकाले वे नकली हैं। जी हां, प्रदेश के बैंकों में नकली नोट जमा कराए जा रहे हैं। इसका खुलासा हुआ है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के ऑडिट में। मैदा मिल स्थित भारतीय रिजर्व बैंक की शाखा के मैनेजर अब्दुल वासे किदवई ने एमपी नगर थाने में इस मामले की लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
एडिशनल डीसीपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि कई ब्रांचों में नकली नोट जमा कराए गए थे। यह नोट बैंकों के माध्यम से रिजर्व बैंक मैदा मिल शाखा में पहुंचे थे। ऑडिट के दौरान नकली नोट की पहचान की गई, जिसके बाद बैंक ने 10, 20, 50, 100, 500, 200 एवं 2000 के कुल 3289 नग नकली नोट पकड़े हैं। इस प्रकार कुल 3 लाख 32 हजार 100 रुपए की राशि के जाली नोट जांच में पकड़े गए हैं। एमपी नगर थाने में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। पैसा कहां से और किस प्रकार आया पुलिस अब इस मामले की जांच कर रही है।

ऐसे करें पहचान
100 रुपए के असली नए नोट की पहचान करने का पहला तरीका यह है कि असली नोट पर सामने वाले दोनों हिस्से पर देवनागरी में 100 लिखा होता है। नोट के बीच में महात्मा गांधी की फोटो लगी है। साथ ही 100 रुपए के असली नोट पर RBI, भारत, INDIA और 100 छोटे अक्षरों में लिखा है। 100 रुपए या उससे ज्यादा मूल्य वाले नोट पर महात्मा गांधी का चित्र, Reserve Bank of India की सील, गारंटी और प्रॉमिस क्लॉज, अशोक स्तंभ, आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर और दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए आइडेंटिफिकेशन मार्क इंटैग्लियो में प्रिंटेड (Intaglio printing) होते हैं। 200, 500 और 2000 रुपए के नोट पर यह मूल्य एक रंग बदलने वाली स्याही से लिखा होता है। जब नोट को समतल रखा जाता है तो इन अंकों का रंग हरा दिखाई देता है, लेकिन जब इन्हें थोड़ा घुमाया जाए तो यह नीले रंग में बदल जाता है।

फास्टैग रिचार्ज कराने के नाम पर हो गई 70 हजार की ठगी
उधर, महिला की कार का फास्टैग रिचार्ज करने के बहाने से आरोपी ने 70 हजार रुपए उड़ा लिए। शाहजहांनाबाद पुलिस के अनुसार 47 वर्षीय प्रतीक्षा नायक ब्राइट कॉलोनी शाहजहांनाबाद में रहती हैं। प्रतीक्षा ने पुलिस को शिकायत में बताया कि उनकी कार का फास्टैग रिचार्ज नहीं हो रहा था। मदद मांगने के लिए उसने कस्टमर केयर का नंबर तलाशा। इंटरनेट पर मिले नंबर पर फोन किया, तो फोन रिसीव नहीं हुआ। 10 मिनट बाद एक अन्य मोबाइल नंबर से उनके पास फोन आया। फोन करने वाले अनजान व्यक्ति ने प्रतीक्षा से कहा कि आपका बैंक खाता लिंक नहीं है। इस कारण आपका फास्टैग रिचार्ज नहीं हो रहा। जालसाज ने कहा कि मैं आपके मोबाइल पर एक लिंक भेज रहा हूं। लिंक में मांगी गई जानकारी भर दो, जिससे आपका बैंक खाता लिंक हो जाएगा। इसके बाद आप फास्टैग रीचार्ज कर सकती हैं। महिला ने जालसाज द्वारा भेजी गई लिंक को खोलकर उसमें चाही गई जानकारी भर दी। लिंक पर क्लिक करते ही प्रतीक्षा के बैंक खाते से 70 हजार रुपए कट गए।

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