– ये है बिजली बेचने की गणित
बिजली वितरण कंपनियों का मानना है कि किसान 365 दिन में सिर्फ 120 दिन सोलर पंप का उपयोग करता है। 245 दिन में तैयार हुई बिजली बेकार हो जाती है। पांच हार्स पावर के पैनल से हर दिन 20 यूनिट बिजली बनती है। इससे 245 दिन की 4900 यूनिट बिजली किसान ग्रिड के जरिए सरकार को बेंच सकेंगे। आयोग अगर तीन से चार रुपए पर यूनिट की दरें निर्धारित करता है तो किसानों को हर साल 18000 रुपए से अधिक की अतिरिक्त आमदनी होगी।
– बिजली कंपनी तैयार करेगी टैरिफ का प्रस्ताव
राज्य सरकार भी कुसुम-3 योजना की तैयारी कर रही है। लॉन्चिंग से पहले सरकार विद्युत नियामक आयोग में टैरिफ निर्धारण के लिए प्रस्ताव भेजेगी। अभी राज्य सरकार इस तैयारी में थी कि बिजली विद्युत वितरण कंपनियां जिन दरों पर लोगों को बेच रही हैं, उसी दर पर किसानों से खरीदी जाएगी। केंद्र सरकार ने हाल ही साफ कर दिया है कि टैरिफ का निर्धारण आयोग करेगा।