20 साल में 90 शो भारत भवन की स्थापना के साथ ही यहां रेपर्टरी भी शुरू हुई। ब.व. कारंत इसके पहले डायरेक्टर रहे। उन्हीं के निर्देशन में यहां पहला नाटक चर्तुभुज का मंचन हुआ था। 1985-1986 तक वे ही डायरेक्टर रहे। रेपर्टरी के अंतिम डायरेक्टर हबीब तनवरी थे। रंगमंडल से जुड़े कलाकार बताते हैं कि अंतिम प्रस्तुति दलदल की हुई थी। इस दौरान 90 से ज्यादा नाटकों का मंचन यहां हुआ। 2002 में रेपर्टरी बंद होने के बाद से कभी फूल टाइम डायरेक्टर नहीं मिल पाया। अभी इसकी जिम्मेदारी भारत भवन के कर्मचारियों के भरोसे ही है।
25 लाख का बजट ही मिल पाया पिछले दस सालों में संस्कृति विभाग के हर प्रमुख सचिव ने रेपर्टरी शुरू कराने के लिए प्रयास किए, बजट की मांग की। वर्तमान में रेपर्टरी को शुरू करने के लिए करीब 2.5 करोड़ रुपए के बजट की आवश्यकता है। बजट को लेकर लंबे समय से कवायद की जा रही है। इसके लिए अंतिम बार 2015-16 में 25 लाख का बजट स्वीकृत किया गया था। जो जरूरत से काफी कम था। भारत भवन ने सालों से रेपर्टरी के लिए प्रॉपर्टीज को संभाल कर रखा है।
करीब 40 रेपर्टरी को फंडिंग दे रहा विभाग 2002 में भारत भवन के रेपर्टरी बंद हुई थी। उस समय तीस कलाकार यहां नौकरी कर रहे थे। नियमित होने को लेकर वे सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। कुछ समय रेपर्टरी को बंद कर दिया गया। 1982 में जब भारत भवन में रेपर्टरी शुरू हुई थी। तब बमुश्किल तीन से चार रेपर्टरी थी। वर्तमान में चालीस से ज्यादा रेपर्टरी चल रही है। विभाग इन्हें पचास हजार से ज्यादा पांच लाख तक फंडिंग कर रहा है।
रंगमंडल रेपर्टरी को शुरू करने के लिए करीब 2.5 करोड़ रुपए की जरूरत है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है। यदि फंड मिल जाता है तो डायरेक्टर की नियुक्त कर रेपर्टरी शुरू कर दी जाएगी। हमारे पास सारी सुविधाएं मौजूद हैं।
प्रेमशंकर शुक्ला, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, भारत भवन