इसी सब के बीच मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में फ़िल्म स्टार गोविंदा की एंट्री हो गई है। उन्होंने आदिवासी संग़ठन जयस को अपना समर्थन दे दिया है, साथ ही वे जल्द ही जयस के कार्यक्रम में भी शामिल होंगे। यह कार्यक्रम धार जिले की कुक्षी विधानसभा में 2 अक्टूबर को होगा।
जानकारों की माने तो जयस की नज़र इन दिनों मालवा निमाड़ की आदिवासी सीटों पर है, इसी के चलते यह कार्यक्रम किया जा रहा है। गोविंदा की वापसी…
दरअसल फिल्म स्टार गोविंदा पूर्व में कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। गोविंदा ने 2004 में पॉलिटिक्स ज्वाइन की थी। इसके बाद वो कांग्रेस पार्टी की टिकट पर मुंबई से सांसद बने।
जबकि लोक सभा सत्र के दौरान संसद से गायब रहने की वजह से उन्हें काफी आलोचना भी झेलनी पड़ी और अंततः 2008 में उन्होंने राजनीति को गुड बाय कह दिया था! इसके बाद एक बार फिर अब गोविंदा राजनीति में इंट्रेस्ट दिखाते दिख रहे हैं।
गोविंदा का राजनैतिक कॅरियर
वर्ष 2004 में कांग्रेस के टिकट पर गोविंदा ने मुंबई से लोकसभा चुनाव जीता। चुनावी प्रचार के दौरान गोविंदा ने मुंबई के लोगों के लिए प्रवास, स्वास्थ्य और ज्ञान को अपने एजेंडे का मुख्य हिस्सा बताया था।
कहा जाता है कि लोकसभा सदस्य बनने के बाद गोविंदा ने अपने एज़ेंडे के अनुरूप कोई कार्य नहीं किया। शुरूआती दस महीने में तो उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त स्थानीय विकास और निर्माण के लिए धनराशि का उपयोग तक नहीं किया। यह बात मीडिया में आने के बाद गोविंदा ने स्थानीय विकास के प्रति ध्यान आकर्षित किया।
पूर्व में ये कहा था गोविंदा ने…
जबकि पूर्व में सिने अभिनेता गोविंदा ने कहा था कि उन्होंने राजनीति को प्रणाम कर लिया है। उस समय अपनी आने वाली फिल्म ‘लूट’ के प्रमोशन के सिलसिले में पटना पहुंचे गोविंदा ने कहा था कि उन्हें लगा कि जिस चीज का उन्हें अभ्यास नहीं है, उसे छोड़ देना ही बेहतर है। हालांकि उन्होंने दावा किया था कि इस क्षेत्र में जनता से किए वादों को वे निभा चुके हैं।
उस समय बिहार पहुंचे गोविंदा से जब यह पूछा गया था कि उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद में कौन अधिक पसंद है तो उन्होंने सवाल को टालते हुए कहा कि आपने देखा होगा कि मैंने समाजसेवी अन्ना हजारे के बारे में भी कोई टिप्पणी नहीं की है। यदि वे टिप्पणी करेंगे तो लोग सोचेंगे कि राजनीति से मेरा लगाव है।