इंसानों के हाथों की दसों अंगुलियों में चार तरह के फिंगर प्रिंट्स अलग-अलग स्थिति में होते हैं। ये लूप, आर्च, वर्ल और कमोजिट यानी मिश्रित हैं। दोनों हाथों की दस अंगुलियों में इन निशानों की स्थिति को देखकर इंसान के आपराधिक व्यवहार की समीक्षा की जाती है। अभी तक की रिसर्च में इसकी पुष्टि हुई है। सजायाफ्ता और विचाराधीन अपराधियों के फिंगर प्रिंट्स के अलावा सामान्य लोगों के फिंगर प्रिंट्स का शोध में उपयोग किया गया है।
फिंगर प्रिंट्स ऐसे सामने लाते हैं इंसानी फितरत
यौन उत्पीडऩ के मामले: इस तरह की मानसिकता वाले लोगों और अपराधियों के दाएं और बाएं हाथ की अनामिका या रिंग फिंगर में विशेष तरह की वर्ल आकृति होती है। रिसर्च के मुताबिक 89 फीसदी से अधिक मामलों में इसकी पुष्टि हुई है। इस तरह के फिंगर प्रिंट वाले व्यक्ति कभी न कभी इस यौन उत्पीडऩ या बलात्कार जैसे अपराधों में लिप्त रहते हैं।
हत्या या अन्य गंभीर मामले: दोनों हाथों के अंगूठे में वर्ल की विशेष स्थिति वाले लोगों में गंभीर अपराधों को अंजाम देने की प्रवृत्ति सबसे अधिक रहती है। इस तरह के फिंगर प्रिंट्स वाले लोग हत्या, हत्या के प्रयास समेत अन्य गंभीर अपराध बेहिचक अंजाम देते हैं।
साइको किलर और आदतन अपराधी: इस तरह की मानसिकता वाले अपराधियों और व्यक्तियों के फिंगर प्रिंट्स कम्पोजिट (मिश्रित) श्रेणी के होते हैं। इनके अध्ययन से पता चला है कि ये अपराधी कई हत्याओं या अपराधों को लगातार अंजाम देते हैं। राजधानी से पिछले साल छह दिन सागर समेत भोपाल में चार चौकीदारों की हत्या करने वाल आरोपी शिव गोंड के फिंगर प्रिंट्स भी कम्जोजिट श्रेणी के हैं।
फिंगर प्रिंट्स से अपराधों को रोकना भी संभव
फिंगर प्रिंट ब्यूरो के डायरेक्टर गणेश सिंह ठाकुर बताते हैं कि फिंगर प्रिंट्स की विस्तृत जांच से सामने आया है कि आपराधिक मानसिकता वालों के अंगुलियों में मौजूद निशानों की प्रकृति एक जैसी है। इसी तरह अपराधों से दूर रहने वालों के अंगुलियों के निशान अलग हैं। फिंगर प्रिंट्स की उपयोगिता अपराध होने के बाद अपराधियों की धरपकड़ के साथ ही अपराधों को रोकने में भी काफी हद तक संभव है।