भोपाल में इस प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने निर्माण एजेंसी तय करने की प्रकिया एक माह पहले ही शुरू हो चुकी है। सितंबर में मेट्रो ट्रेन के लिए भूमि पूजन कर दिया जाएगा। इसके साथ ही मेट्रो के पिलर कागज से जमीन पर उतरना शुरू हो जाएंगे। गौरतलब है कि प्रदेश में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होना है।
ऐसे में मेट्रो का जमीनी काम शुरू करना बड़ा कदम माना जा रहा है। प्रोजेक्ट डीपीआर में कुल 105 किमी के कुल पांच रूट तय किए हैं, लेकिन पहले चरण में 28 किमी के दो रूट पर काम शुरू किया जाएगा। इसके लिए सात हजार करोड़ रुपए की लागत अनुमानित है, जिसमें से साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए लोन लेने की प्रक्रिया चल रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा, हर मोर्चे पर फेल शिवराज सरकार चुनावी वर्ष में मेट्रो का झुनझुना दिखा रही है। उन्होंने पूछा, इंदौर-भोपाल के बीच 200 किमी के ट्रैक पर 50 हजार करोड़ संभावित खर्च है। एक लाख 70 हजार करोड़ कर्ज में डूबी सरकार करोड़ों के मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर जनता को फि र गुमराह करने में लग गई है। सरकार को पहले प्रदेश की जनता को यह बताना चाहिए कि इसकी क्या व्यवस्था की गई है?
पूर्व मुख्यमंत्री व तत्कालीन मंत्री नगरीय प्रशासन विभाग बाबूलाल गौर ने 2008 में मेट्रो ट्रेन का प्रस्ताव बनाकर तत्कालीन केंद्रीय कांग्रेस सरकार के पास गए थे।
अक्टूबर 2009 में डीएमआरसी के श्रीधरन ने भोपाल इंदौर का दौरा कर यहां मेट्रो की संभावना जताई।
अप्रैल 2010 में फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी नगरीय प्रशासन विभाग को सुपूर्द कर दी।
तत्कालीन मंत्री नगरीय प्रशासन बाबूलाल गौर से मौखिक सहमति बनाई कि केंद्र से 60 फीसदी राशि फायनेंस करा देंगे।
जुलाई 2013 में ग्लोबल टेंडर से मुंबई की रोहित एसोसिएट्स को डीपीआर का काम सौंपा।
2013 में ही इंसेप्शन रिपोर्ट और 2014 के शुरुआत में अंतरित रिपोर्ट मिल गई।
अप्रैल 2015 में तैयार डीपीआर ड्राफ्ट की केबिनेट मंजूरी जनवरी 2016 में कराई गई।
दिसंबर 2016 में राज्य केबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा गया। जनवरी में इसे फिर से केंद्र को भेजा, लेकिन तब तक मेट्रो के लिए नई पॉलिसी का काम शुरू हो चुका था इसलिए इसे रोक दिया गया।
अगस्त 2017 में नई मेट्रो पॉलिसी आई और उसके लिए फिर से केंद्र से संसोधित डीपीआर मंजूरी की कवायद की जा रही है।
पूर्व मंत्री नगरीय प्रशासन विभाग कैलाश विजयवर्गीय ने मेट्रो पर तीन मार्च 2018 को इंदौर में कहा था कि अफसरों ने इसे लेट कराया।
पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश में मेट्रो का कांसेप्ट लाने वाले बाबूलाल गौर चार मार्च को बोले, मुख्यमंत्री के सलाहकारों ने नहीं मानी बात, नहीं तो आज पटरी पर होती मेट्रो
150 से 250 करोड़ किमी तक पहुंचा खर्च
2010 में डीएमआरसी ने मेट्रो की फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनाई थी, तब प्रोजेक्ट की लागत 150 करोड़ किमी थी। अब 250 करोड़ प्रति किमी से अधिक की बात हो रही है। प्रोजेक्ट डीपीआर बनाने वाले रोहित गुप्ता का कहना है कि जितनी देरी होगी लागत उसके अनुसार ही बढ़ेगी।
02 रूट पर पहले चरण की चलेगी मेट्रो
15 किमी लंबाई का करोंद से एम्स
13 किमी का भदभदा से रत्नागिरी चौराहा