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भोपाल

हार्डकोर कमर्शियल मॉडल पर आएगा मछली पालन

– नदियों-तालाबों व अन्य जल स्त्रोतों के लिए बनेंगे कॉमन रूल्स- राजस्व बढ़ाने सरकार ने नई नीति बनाना तय किया

भोपालFeb 11, 2020 / 09:43 pm

जीतेन्द्र चौरसिया

machhali palan

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भोपाल। प्रदेश में मछली पालन अब हार्डकोर कमर्शियल मॉडल पर लाया जाएगा। दरअसल, अभी तक के मछली पालन के राजस्व को सरकार बेहद कम मानती है। इस कारण अब मछली पालन को पूरे कमर्शियल मॉडल पर लाकर काम होगा, ताकि राजस्व में बढ़ोत्तरी हो सके। इसके लिए कोल्ड स्टोरेज की चैन बनाने के साथ मार्केटिंग के फंडे तक आजमाए जाएंगे। इसमें तालाबों, नदियों सहित अन्य जल स्त्रोतों के लिए कॉमन रूल्स लाए जाएंगे।
राज्य सरकार की कोशिश है कि इस सेक्टर में राजस्व के लीकेज को रोका जा सके। साथ ही मछली के अलावा जलीय जंतुओं को लेकर अन्य सब-प्लान भी तैयार किए जाए, जिससे राजस्व में बढ़ोत्तरी हो। इसमें बेसिक नियमों के आधार पर पूरा काम होगा।
प्रदेश में अभी पांच हजार से ज्यादा एेसे बड़े तालाब या जल स्त्रोत हैं, जहां मछली पालन को बड़े पैमाने पर कमर्शियल मॉडल के तहत लागू किया जा सकता है। इनमें से आधे पर भी अभी बेहतर तरीके से काम नहीं हो पा रहा है, इस कारण सरकार इन सबके लिए बड़े पैमाने पर यूनिफार्म रूल्स लाकर नए तरीके से क्रियान्वयन शुरू करेगी।
इसके तहत मानीटरिंग के लिए सरकार जल्द ही सेंट्रलाइज मानीटरिंग सिस्टम लाएगी। वजह ये कि अभी तालाबों, नदियों, डेम और अन्य जगह पर जो मछली पालन हो रहा है, अभी उसकी पूरी रिपोर्ट एक जगह पर आनलाइन नहीं हो पाती है। बिखरे कामों के कारण टैक्स चोरी भी बहुत होती है। इस कारण सभी जगह मछली पालन और उसकी बिक्री का रिकार्ड तैयार करके एक कॉमन साफ्टवेयर पर मानीटरिंग के लिए लाया जाएगा।
नई तकनीक का प्रयोग-

मछली पालन, उसके संग्रहण और बिक्री के लिए नई तकनीकों का प्रयोग होगा। इसके तहत कोल्ड स्टोरेज की चैन बनाना प्रस्तावित है, ताकि मछली बिक्री के लिए अधिक समय तक उपयोग की जा सके। इसके अलावा दूर क्षेत्रों में भी उसकी प्रॉपर मार्केटिंग करके बेचा जा सके। इसके लिए साफ्टवेयर बेस्ड कंट्रोलिंग व अपग्रेडिंग सिस्टम भी आजमाया जा सकता है। इसमें मछुआरों से फील्ड-चेकिंग को भी स्मार्ट फोन पर लाया जाएगा।
मछुआरों के साथ समन्वय-
मछुआरों के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, लेकिन न तो उसका प्रचार-प्रसार हो पाता है और न उसकी सही तरीके से मानीटरिंग है। इसलिए नई नीति में मछुआरों का समन्वय भी ध्यान में रखा जाएगा। मछुआरों के पंजीयन और लायसेंस की व्यवस्था को अपग्रेड किया जाएगा।
कैबिनेट सब-कमेटी बनी-

सरकार ने मछली पालन को लेकर कैबिनेट सब-कमेटी का गठन भी किया है। इस कमेटी को मछली पालन पर नई नीति बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। सब-कमेटी के अध्यक्ष पशुपालन मंत्री लाखन सिंह बनाए गए हैं।

फैक्ट फाइल-
– 22 जलाशय मत्स्य महासंघ के

– 20 जलाशय विभाग के अधीन संचालित
– 3017 जलाशय पंचायतों के अधीन

– 05 मत्स्य बीज विकास प्रक्षेत्र

– 3.67 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में अभी मछलीपालन
– 17088 किमी चार नदियों का जाल-क्षेत्र

– 2290 मछुआ सहकारी समिति प्रदेश में
(डाटा 2018 की स्थिति में)

इनका कहना-

प्रदेश में मछली पालन को लेकर सरकार राजस्व बढ़ाने के प्रयास कर रही है। इसके तहत कोल्ड स्टोरेज बनाने की योजना है। इसमें व्यावसायिक मॉडल पर काम होगा, ताकि सरकार का राजस्व बढ़े और साथ में रोजगार भी बढ़े।
– लाखन सिंह, मंत्री, पशुपालन विभाग, मप्र

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