कलाकारों ने मालवी नृत्य में संजा नृत्य प्रस्तुत किया। श्राद्ध पक्ष के 16 दिन कुंवारी कन्याएं शाम के समय एक स्थान पर एकत्रित होकर संजा गीतों का गायन करती हैं और आरती कर प्रसाद बांटती हैं। मालवा की गौरवमयी संस्कृति की सौम्य सहज सुखद अभिव्यक्ति का पर्व संजा है। ये सखियों के मिल-बैठकर एक-दूसरे का हालचाल जानने का पारंपरिक माध्यम माना जाता है। इसके बाद मालवी भाषा में गणेश वंदना सेवा म्हारी मानी लो गणेश देवता पर केंद्रित नृत्य दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया। इस नृत्य प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने नृत्याभिनय माध्यम से गणेश जी के स्वरुप को मंच पर बिम्बित किया। अंत में राधा-कृष्ण की मालवी परंपरा आधारित होली गीत म्हारो टूट गयो बाजूबंद कान्हा होरी में… पर नृत्य प्रस्तुत करते हुए अपनी नृत्य प्रस्तुति को विराम दिया। राधा-कृष्ण की होली की शानदार प्रस्तुति ने फागुन का माहौल बना दिया था। दर्शकों ने भी इसका जमकर आनंद उठाया। ये नृत्य मालवा में होली के दौरान किया जाता है। इन शानदार प्रस्तुतियों से पूरे वातावरण में मालवा की संस्कृति का रंग चढ़ गया था। कलाकारों के नृत्य कौशल और पारंपरिक गायन को दर्शकों ने जमकर सराहा।