उनका कहना है कि कई बार ये कचरा और इसका जलता हुआ हिस्सा वन्यजीवों के लिए नुकसानदेह साबित हो जाता है। उन्होंने आशंका जताई कि यदि अभी से इस पर अंकुश न लगाया गया, तो कुछ ही दिनों में इसे कचरा डंप करने की जगह बना दिया जाएगा। जब तक इसके लिए आवाज उठेगी और उपाय होंगे, तब तक वन्य क्षेत्र का नुकसान हो चुका होगा।
नूर का कहना है कि इसी तरह बड़ा तालाब के मामले में भी लापरवाही की गई, जिसका नतीजा आज सामने है। लाख कोशिशों के बावजूद तालाब को बचा पाना आसान नहीं रह गया है। तालाब का पानी तो प्रदूषित हो ही रहा है, उसके कैचमेंट एरिया में कब्जे से इसके अस्तित्व को खतरा बढ़ गया है।