सवाल: आपके कार्यकाल में भोपाल काफी बाघ बढ़े, प्रदेश को भी टाइगर स्टेट का दर्जा मिला, कैसा फील कर रहे हैं?
जवाब: वास्तव में यह हम सबके लिए गौरव की बात है। कार्यकाल में वन संपदा और वन्यजीवों को बचाने की फिक्र रही और इसके लिए गंभीरता से प्रयास किए। इसके लिए विभाग की टीम और सहयोगी भी प्रशंसा के पात्र हैं। वन और वन्यजीवों को बचाने के लिए सभी विभागों और नागरिकों को सहयोग करना चाहिए।
सवाल: आपने रातापानी सेंक्चुरी को टाइगर रिजर्व बनाने का रास्ता तो साफ कर दिया, लेकिन सुरक्षा दिखाई नहीं देती, इससे वन व वन्यजीवों को खतरा है?
जवाब: रातापानी सेंक्चुरी में टाइगर्स के अलावा लेपर्ड, बियर व अन्य वन्यजीवों के आवास व मूवमेंट रहता है। वहां के डीएफओ को अतिरिक्त निगरानी के लिए कहा गया है। स्टाफ को भी सचेत किया गया है।
सवाल: इस बार बरसात खूब हुई है, वन्यजीवों के लिए सालभर पानी की अब तो कमी नहीं होगी?
जवाब: अच्छी बरसात होने से वन क्षेत्र के कच्चे और पक्के तालाब/सॉसर भरे हुए हैं। ग्राउंड वाटर लेवल भी बढ़ेगा। इससे पानी की सालभर कमी नहीं होगी। वैसे भी वन्यजीवों की प्यास बुझाने का इंतजाम कच्चे/पक्के वाटर सॉसर्स से हो ही जाता है।
जवाब: भोपाल सामान्य वनमंडल में 421 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आता है। हमारी तीन टीमें 24 घंटे मैदान में सक्रिय रहते हुए पैनी निगरानी करती हैं। डीएफओ/एसडीओ भी रात में शेड्यूल बनाकर या औचक भ्रमणकर वन क्षेत्र का सुपरविजन करते हैं।
सवाल: वन्यजीवों के संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
जवाब: सामाजिक स्तर पर वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति जागरुकता फैलाने बाघ मित्रों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। अच्छे कार्य करने वालों को सम्मानित करेंगे। इसके सिवा रेडियो, समाचार पत्र, संगोष्ठी आदि के जरिए वन एवं वन्यजीवों को बचाने के लिए जागरुकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
सवाल: टाइगर/वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए केरवा-कलियासोत फॉरेस्ट में कुछ स्थानों पर निगरानी कैसे की जाएगी?
जवाब: कलियासोत डैम की तरफ के फॉरेस्ट एरिया को संरक्षित करने के लिए डिमांड को शासन व केन्द्र स्तर पर स्वीकार किया गया और कलियासोत की तरफ टॉवर व कैमरे लगाने के लिए और 12 किलोमीटर फेंसिंग के लिए राशि मिलने के बाद कार्य शुरू कर दिया गया है।