इसके बावजूद वन विभाग के अफसर दो-दो लग्जरी वाहनों का उपयोग कर वित्त विभाग के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। वन विभाग मुख्यालय के अफसरों ने अपने पास दो वाहन रखने का रास्ता निकाला रखा है। उन्होंने एक वाहन खुद के नाम से तो दूसरा स्टाफ के नाम पर आवंटित कराया है। सूत्रों के अनुसार दोनों गाडिय़ों की लॉग बुक वे खुद भरते हैं। वन मुख्यालय में पदस्थ जितने पीसीसीएफ स्तर के अधिकारी हैं, उनके पास दो-दो गाडिय़ां हैं, कुछ एपीसीसीएफ के पास भी दो गाडिय़ां है। इसके अलावा मैदान में सीसीएफ, एसीएफ तथा डीएफओ की भी यहीं स्थिति है।
कुछ अधिकारियों ने एक गाड़ी लघु वनोपज संघ ले रखी है और दूसरी गाड़ी विभाग से आवंटित करा रखी है।
इसके अलावा मैदान में सीसीएफ, एसीएफ तथा डीएफओ की भी यहीं स्थिति है। कुछ अधिकारियों ने एक गाड़ी लघु वनोपज संघ ले रखी है और दूसरी गाड़ी विभाग से आवंटित करा रखी है।
बताया जाता है कि एक गाड़ी खुद के नाम के बजाय अपने स्टाफ और दौरे के नाम से आवंटित कराई है। वित्त विभाग के फरमान के बाद अब अधिकारियों से एक वाहन वापस करने में लेने के बजाय इस मामले में अधिकारी पर्दा डालने में लगे हैं। अधिकारियों ने शासन के सामने तर्क दिया है कि यहां पहले से ही वाहनों की खरीदी पर शासन के पास भेजा गया था , जिस पर शासन ने रोक लगा रखी है तो एक अधिकारी के पास दो-दो दो वाहन होने का सवाल ही नहीं उठता है।
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वर्जन विभाग में वैसे ही गाडिय़ों की कमी है। वित्त विभाग से एक साल पहले ही वाहन खरीदी की अनुमति मांगी गई थी, जो नहीं मिल। अधिकारियों के पास एक ही वाहन है। एक वाहन स्टाफ के नाम से है।
अनिल श्रीवास्तव
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (समन्वय )
———— लघुवनोपज का काम हमेशा चलता है। एक गाड़ी सीसीएफ को हमेशा के लिए दी जाती है। तेंदूपत्ता के दौरान वाहन किराए पर भी लिए जाते हैं।
अतुल श्रीवास्तव,
अपर प्रबंध संचालक, लघु वनोपज संघ