वन दूतों से करायी जाएगी जीवित पौधों की गणना
किसान और वन विभाग के बीच सेतु का काम करेंगे वन दूत

भोपाल। वन विभाग पौध रोपण की गणना और ताजा स्थिति जानने के लिए वन दूतों का सहारा लेगा। वन दूत हर 6-6 महीने में वन विभाग को यह रिपोर्ट देगा कि उनके क्षेत्र में जो पेड़ लगाए गए थे वह जीवित हैं अथवा सूख गए हैं। पौध रोपण के दौरान वन विभाग और किसानों के बीच जो करार हुआ है उसके अनुसार किसानों को समय पर भुगतान कराने की जिम्मेदारी भी वन दूतों को ही दी गई है।
किसानों से जितना पौघ रोपण वन दूत कराएंगे उतना ही उन्हें लाभ मिलेगा, वन विभाग हर प्लांटेशन पर वन दूतों को कमीशन देगा। किसानों से पौध रोपण कराने के अलावा लगाए गए पेड़ों की पांच साल तक जीवित रखने के लिए उन्हें लगातार मानीटरिंग करना पड़ेगा। इस मामले में अब विभाग के मैदानी अधिकारियों की भूमिका समाप्त कर दी गई है।
पेड़ लगाने के बदले किसानों को जो आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए, उस राशि को समय-समय पर दिलाने में भी वन दूत मदद करेंगे। बड़े-बड़े किसानों को निजी वन तैयार करने के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कराने का काम भी वन दूतों के माध्यम से कराया जाएगा और वह
उन वनों कटाई, छटाई और उसे रख-रखाव के लिए विशेषज्ञ भी उपलब्ध कराने का काम करेंगे। वह किसानों को पौध रोपण के लिए सस्ते पेड उपलब्ध कराने की व्यवस्था शासकीय नर्सरियों से करेंगे। वन दूत ग्राम सभाओं में भी जाकर पंचायतों को पौध रोपण के प्रति जागरूक करेंगे और पंचायतों को पौध रोपण के लिए पेड़ उपलब्ध कराएंगे। वर्तमान समय पर पूरे प्रदेश में वन विभाग द्वारा करीब डेढ़ हजार वन दूत बनाए गए हैं।
आईआईएफएम देगा वन दूतों को ट्रेनिंग
वन दूत मैदान में कित तरह से काम करें, इसका प्रशिक्षण भारतीय वन प्रबंध संस्थान (आईआईएफएम) के माध्यम से उन्हें दिया जाएगा। वन विभाग ने सभी वृत्तों के वन दूतों के प्रशिक्षण के लिए कार्य योजना तैयार कर दिया है, प्रशिक्षण कार्य 15 जून से पहले पूरा हो जाएगा।
क्यों बदली व्यवस्था
किसानों को उनकी जमीन पर पौध रोपण के लिए वन विभाग के स्थानीय कार्यालयों में प्रस्ताव देना पड़ता था। इस प्रस्ताव पर विभाग के अधिकारी रूचि नहीं लेते थे। वन विभाग का कई बार तो प्रस्ताव ही अस्वीकार कर कर देता था, स्वीकृत होने और प्लांटेशन करने के बाद किसानों को पैसे के लिए भटकना पड़ता था। जीवित पौधों की गणना ठीक से नहीं होती थी, किसानों और वन विभाग की गणना में अंतर आने से किसानों का भुगतान रूक जाता था। वन अधिकारी किसानों के खेत तक ही नहीं पहुंते थे और आफिस में बैठकर ही रिपोर्ट तैयार कर देते थे।
किसानों से पौधरोपण कराने, उसकी गणन करने तथा किसानों को उसका भुगतान करने का काम वन दूतों को दिया जा रहा है। वन दूतों किसानों और विभाग के बीच में सेतु का काम करेंगे। उन्हें आईआईएफएम से प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा।
पीसी दुबे, एपीसीसीएफ
वन अनुसंधान, विस्तार और लोक वानकीय
अब पाइए अपने शहर ( Bhopal News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज