जनता प्रहर को भोजन अवकाश के समय शुरू किए जाने की तैयारी है। इसके लिए दस सवालों का चयन होगा। चयन लॉटरी सिस्टम से होगा। जिस विभाग से जुड़े सवाल होंगे, उसके मंत्री को भोजन अवकाश के दौरान सदन में मौजूद रहना होगा। चयनित व्यक्ति को अध्यक्षीय दीर्घा में आमंत्रित किया जाएगा। सवालों के लिए वह व्यक्ति जिस विधायक को अधिकृत करेगा वह विधायक सवाल पूछेगा। यदि वह व्यक्ति कोई प्रति प्रश्न भी करना चाहता है तो प्रति प्रश्न भी करेंगे।
संसदीय कार्य विभाग हुआ सक्रिय – जनता प्रहर को लेकर संसदीय कार्य विभाग सक्रिय हुआ है। विभाग ने प्रस्ताव पर मंथन शुरू किया है। तैयार प्रस्ताव के तहत विधानसभा सचिवालय को नोडल एजेंसी बनाया गया है। नियमों में संशोधन इत्यादि की जिम्मेदारी विधानसभा सचिवालय की होगी।
दिग्विजय काल में था मुख्यमंत्री प्रहर दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में भी ऐसा ही प्रावधान था। इसे मुख्यमंत्री प्रहर नाम दिया गया था। निर्धारित एक घंटे में मुख्यमंत्री सीधे जबाव देते थे। भाजपा सरकार में यह मुख्यमंत्री प्रहर को लागू नहीं किया गया। आखिरकार नियमों में संशोधन कर मुख्यमंत्री प्रहर को समाप्त कर दिया गया। यह मुख्यमंत्री प्रहर की व्यवस्था लंदन में प्रधानमंत्री प्रहर से प्रेरणा लेकर शुरू की गई थी।