* हिंदू धर्म में शैव-वैष्णव जैसे कई उपासना पंथ हैं। इन उपासना पंथों में गणपति की उपासना करने वालों को गाणपत्य कहा जाता है।
* भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व हजारों साल से मनाया जा रहा है।
* जब भारत में पेशवाओं का शासन था, उस समय इस पर्व में भव्यता दिखाई देने लगी।
* सवाई माधवराव पेशवा के शासनकाल में पूना के प्रसिद्ध शनिवारवाड़ा नामक राजमहल का गणेशोत्सव इस भव्यता का उदाहरण है।
* अंग्रेजों ने भारत में प्रवेश करते ही पेशवाओं के राज्य पर अधिकार करना शुरू कर दिया।
* यह वह दौर था जब गणेश उत्सव की भव्यता और चकाचौंध कम होने लगी।
* हां लेकिन ये परंपरा कभी टूटी नहीं।
* उस समय हिंदू भी अपने धर्म के प्रति उदासीन हो गए थे।
* युवकों में अपने धर्म के प्रति नकारात्मकता और अंग्रेजी आचार-विचार के प्रति आकर्षण बढऩे लगा था।
* इस स्थिति में उस समय महान क्रांतिकारी व जननेता लोकमान्य तिलक ने हिन्दुओं को संगठित करने के बारे में सोचना शुरू किया।
* लोकमान्य तिलक ने विचार किया कि श्रीगणेश ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो समाज के सभी स्तरों में पूजनीय हैं।
* चूंकि गणेशोत्सव एक धार्मिक उत्सव है, तो अंग्रेज शासक इसमें दखल नहीं दे सकेंगे।
* इसी विचार के साथ लोकमान्य तिलक ने पूना में सन् 1893 में सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत की।
* उस समय तिलक ने गणेशोत्सव को आजादी की लड़ाई के लिए एक प्रभावशाली साधन बनाया।
* धीरे-धीरे पूरे महाराष्ट्र में गणेशोत्सव सार्वजनिक हो गया।
* यह वो वक्त था जब अन्य धर्मों के लोग भी हिंदू धर्म पर हावी हो रहे थे।
* इस संबंध में लोकमान्य तिलक ने पूना में एक सभा आयोजित की। इसमें ये तय किया गया कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से भद्रपद शुक्ल चतुर्दशी (अनंत चतुर्दशी) तक गणेश उत्सव मनाया जाए।
* 10 दिन के इस उत्सव में हिंदुओं को एकजुट करने व देश को आजाद करने के लिए कई क्रांतिकारी विचार छिपे थे। तब से
– पूजा स्थान से गणपति की प्रतिमा को उठाएं।
* जैसे ही बप्पा की मूर्ति उठा लें उसके बाद लगातार बप्पा के मंत्र, गणपति बप्पा मोरया का उच्चारण करें।
– चतुर्दशी तिथि 5 सितंबर, 2017 को 12:41 बजे समाप्त हो जाएगी
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
– दोपहर का मुहूर्त (शुभ) = 15: 44 बजे- 17:17 बजे
– शाम का मुहूर्त(प्रयोग) = 20:17 अपराह्न – 21: 44 बजे
– रात का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चार) = 23:11 बजे