राज्यपाल ने कहा कि महिला अपराध मुक्त समाज के लिए सामाजिक व्यवहार में परिर्वतन जरूरी है। यह युवाओं के सक्रिय सहयोग के बिना संभव नहीं है। जेंडर सेंसीटाइजेशन के प्रस्तावित पाठ्यक्रम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि में महिला-पुरूष भेदभाव के प्रति संवेदनशीलता को शामिल किया जाना चाहिए। महिलाओं को समाज में सम्मान का दर्जा मिले।
वे हिंसा मुक्त वातावरण में सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें, घरों में बालिकाओं और महिलाओं को बराबरी का हक मिले। परिवार में बेटे और बेटी के बीच भेद-भाव खत्म हो। राज्यपाल ने कानूनी साक्षरता एवं सहायता योजनाओं के प्रचार प्रसार और उसकी जानकारी के निर्देश भी दिए।
राज्यपाल ने कहा कि महिलाओं के कल्याण के लिये संचालित योजनाओं की जानकारी उन्हें दी जाए। साथ ही महिलाओं के सशक्तिकरण और स्वावलंबन के प्रयासों में उन्हें सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज के दृष्टिकोण, प्रभाव, कौशल और आचरण को युवा वर्ग विकसित कर सकता है। उचित अवसर मिलने पर युवा देश का सामाजिक और आर्थिक भाग्य बदल सकते हैं।
महिलाओं के लिए स्वस्थ, सुरक्षित एवं सम्मानजनक सामाजिक वातावरण निर्माण में युवाओं का सहयोग आवश्यक है। महिलाएं हिंसा मुक्त परिवेश में सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें, घरों में बालिकाओं और महिलाओं को बराबरी के हक मिलें। परिवार में बेटे और बेटी के बीच भेद-भाव खत्म हो। उन्होंने विधिक साक्षरता एवं सहायता योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर भी बल दिया। बैठक में राज्यपाल के सचिव मनोहर दुबे सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।