चार्टर्ड बसों के जरिए पार्सल भेजने में फूलप्रूफ जांच नहीं की जाती। पार्स के अंदर विस्फोटक, मादक पदार्थ कुछ भी रखकर भेजा जा सकता है। वॉल्वो बसों में यात्री लगेज आड़ में बड़े पैमाने पर कॉमर्शियल गुड्स की ढुलाई की जा रही है। इससे हर महीने मोटा व्यवसाय किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो इसमें नेताओं और सरकारी विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों की दुरभिसंधि है। नियमानुसार इन बसों में निर्धारित यात्री लगेज के अलावा व्यावसायिक माल की ढुलाई नहीं होनी चाहिए।
भोपाल-इंदौर रूट पर कई चार्टर्ड बसें संचालित की जाती हैं। इंदौर में मुख्यालय वाली इस चार्टर्ड बस सेवा की पार्सल सेवा भोपाल, सागर, छतरपुर, दमोह, कटनी, जबलपुर, रीवा, रतलाम, मंदसौर, नीमच, जयपुर, उदयपुर, कोटी, शिरडी, पुणे, मुम्बई, अहमदाबाद व उज्जैन आदि शहरों के लिए है। भोपाल से इंदौर के बीच चार्टर्ड बसों में सफर करने वाले अधिकांश बिजनेस और हाइक्लास लोग होते हैं। भोपाल-इंदौर के बीच होने वाली कमर्शियल गतिविधियों का माल भी बड़े पैमाने पर इन बसों के बीच इधर से उधर भेजा और मंगाया जाता है। कुछ का कुछ माल पैकेट पर लिखकर मंगाने-भेजने से काफी सस्ता पड़ता है। माल का पार्सल खोलकर चेक नहीं किया जाता। छोटे पैकेट के 70 रुपए और कार्टन के 100-120 रुपए लगते हैं। पार्सल का बुकिंग काउंटर 24 घंटे खुला रहता है और किसी भी समय बुकिंग करवा सकते हैं।
यात्रियों का सामान सुरक्षित नहीं
संचालक पल्ला झाड़ लेंगे कि हमने तो टिकट के पीछे ही टम्र्स एंड कंडीशंस में लिख दिया है कि हमारी जिम्मेदारी नहीं। बंजारी निवासी उद्यमी पंकज सिंह इंदौर एयरपोर्ट पर उतरने के बाद रोशन अग्रवाल की चार्टर्ड बस संख्या एमपी 04 पीए 3672 में सीट संख्या बी-2 से भोपाल आ रहे थे। भोपाल आकर पता चला कि उनका बैग गायब है। इस मामले में गोविंदपुरा पुलिस ने भी प्रकरण दर्ज किया था, लेकिन बैग आज तक नहीं मिला।
यात्री बसों में कमर्शियल सामान ढोने का मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। मैं इस बारे में पता कर नियमानुसार कार्रवाई करूंगा।
– संजय कुमार, सीईओ, स्मार्ट सिटी
यात्री बसों में कमर्शियल गुड्स ढोना गलत है। स्टाफ की कमी के चलते कार्रवाई नहीं हो पाती है।
– संजय तिवारी, आरटीओ